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मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा, गांधी विचारधारा को जबरन ना थोपे


कमलनाथ ने कहा था गोडसे को देशभक्त मानने वालों को माफ नहीं किया जाएगा- अभा हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव पांडेय ने पत्र लिखकर दिया जवाब

उज्जैन। भारत की स्वतंत्रता और उसके इतिहास पुरूषों के बलिदान की कीमत का आंकलन दलगत करना उचित नहीं। मोहनदास करमचंद गांधी का पूजन करने वाले करे ये उनकी निजी श्रध्दा है जिस पर हमें किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं, लेकिन नाथूराम विनायक गोडसे को बिना जाने हत्यारा कह देना इतिहास की अज्ञानता है। उन्होंने गांधी वध किया जिसे स्वीकार करते हुए नाथूराम फांसी पर झूल गये। इस स्वतंत्र भारत की स्वार्थी राजनीति ने कभी भी गोडसे को जानने की कोशिष नहीं की। गांधी का पिता तुल्य आदर करने वाले गोडसे ने गांधी वध क्यों किया इस पर चर्चा के चैलेंज को कभी किसी गांधी समर्थक ने स्वीकार नहीं किया। क्या यह एक तरफा निर्णय नहीं कि किसी घटना के कारण को जाने बगैर ही उसकी व्याख्या कर दी जाए।

उक्त बात अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पांडेय ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम लिखे पत्र में कही। हिंदू महासभा की निश्छल देशभक्ति का दमन रोकने एवं हिंदू महासभाईयों को भयभीत न करने जैसे विषय पर लिखे पत्र में पांडेय ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की निजी श्रध्दा को बाधित करना क्या न्याय है। क्या देश के हिंदुओं का कत्ल करने की बात कहने वाले अकबरूद्दीन ओवैसी के बयान देश हितैषी थे जिस पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की गयी। क्या गांधी के चरित्र को लेकर बनी फिल्में बैन हुई या फिल्म बनाने वाले देशद्रोही माने गये। क्या हैदराबाद निवासी डाॅ. के.व्ही. सीतारमैया जिन्होंने गांधी राष्ट्रद्रोही धर्मद्रोही नामक पुस्तक लिखी उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। क्या आगरा निवासी टीडी चानना द्वारा लिखी हिंदू राष्ट्र पुनर्निमाण आंदोलन पुस्तक को बैन किया गया या उन पर किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज हुआ। इंडिया टुडे पत्रिका ने गांधी के बारे में लिखा कि वो अपने परिवार की बच्चियों सहित अन्य महिलाओं के साथ निर्वस्त्र सोते थे। पांडेय ने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि उक्त पत्रिका के लेख का खंडन किसने किया और पत्रिका के उपर क्या कार्यवाही हुई। उपरोक्त पुस्तकों में तत्कालीन घटनाक्रम के अनेको उदाहरण है जिन्होंने गांधी पर उंगली उठाई। नक्सलवाद के कारण देश छिन्न भिन्न हो रहा है। राजनैतिक जातीय जहर से राष्ट्र गृहयुध्द की देहलीज पर खड़ा है। इस दिशा में चिंतन की ज्यादा जरूरत है। शांति पूर्ण ढंग से नाथूराम विनायक गोडसे के स्मरण दिवस पर हिंदू महासभा के प्रति अचानक सरकार का दमनकारी रूख उचित नहीं है। अखिल भारत हिंदू महासभा वीर विनायक दामोदर सावरकर के सिध्दांतों पर राष्ट्र की अखंडता को सबलता प्रदान करने का काम बिना किसी राजनैतिक स्वार्थ बस निरंतर कर रही है। गोडसे विद्वान पत्रकार थे वो हिंदू महासभा के कर्मठ, देशभक्त सिपाही थे जिन्होंने कहा था कि भारत के अखंड होने तक उनकी अस्थियां विसर्जित न की जाये जो आज भी पूना में रखी हुई है। फांसी के पूर्व अखंड भारत और वंदेमातरम का जयघोष करने वाले गोडसे आज भी लाखों लोग के लिए देशभक्त राष्ट्रनायक हैं। देशभक्ति की परिभाषा सर्वोपरि होनी चाहिये जहां अपने पराये और उच नींच का भेद न हो, देश हित में प्राण न्यौछावर करने वाले सपूतों के इतिहास पर पाबंदी ठीक नहीं। हिंदू महासभा के कार्यकर्ता देशभक्त हैं उनके कार्य और चरित्र पर कोई भी राष्ट्र विरोधी दाग नहीं है। पांडेय ने पत्र में लिखा कि व्यक्तिगत किसी के चरित्र पर टिप्पणी करना और किसी राष्ट्रीय नेता की छवि धूमिल करना उद्देश्य नहीं होना चाहिये। गांधी विचारधारा के विपरीत गांधी युग में भी मतभेद था लेकिन आजादी उन सभी का लक्ष्य था जो एक दूसरे की विचारधारा में शामिल नहीं थे। पांडेय ने कहा कि आपका बयान जिसमें कहा गया कि गोडसे को देशभक्त मानने वालों को माफ नहीं किया जाएगा क्या गांधी विचारधारा का जबरन थोपना नहीं है। उपरोक्त विषयों की सत्यता को जानने हेतु यह पत्र लिखा गया। 

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