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विचारगोष्ठी एवं सम्मान समारोह, भारत रत्न प्राप्त देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुलकलाम आजाद की 131वीं जयंती पर हुआ आयोजन



उज्जैन। भारत रत्न स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना अबुलकलाम आजाद की 131वीं  जयंती आज नोशाबा हादी हाल में मनाई गई। 
सर सैयद अहमद वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष इकबाल उस्मानी एवं प्रवक्ता चेतन ठक्कर ने बताया कि जिला वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डाॅ. निजाम हाश्मी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि, देश की आजादी के लिए मौलाना अबुलकलाम आजाद ने जो योगदान दिया है उसको देश भुला नहीं सकता। आप नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, आप आधुनिक भारत के महानायक थे। आप स्वतंत्रता संग्राम में अग्रिम पंक्ति के नेताओं में थे। देश के लिए समर्थित मौलाना अबुलकलाम आजाद 17 साल से 70 तक देश की सेवा करते हुए दुनिया से कूच कर गए। उनका दीर्धकालिक गौरवपूर्ण इतिहास चुनौतियों और चमत्कारों से भरा रहा। 1923 के अलावा 1940 से 1946 तक सबसे कठिन और निर्णायक समय में मौलाना ने कांग्रेस का नेतृत्व किया। विषम परिस्थिति हो या विकट समस्या उन्हें निर्णय लेने में देर नहीं लगती थी। आप अपने प्रबल और स्पष्ट विचार द्वारा आम सहमति आसानी से बना लेते थे। उनका नेतृत्व कौशल और उनकी अभिव्यक्ति की क्षमता इतिहास में अविस्मरणीय है। अपने पूरे संघर्ष काल में वह या तो पूरे समय जेल में बंद रहे या उन्होंने दिशा-निर्देश और नीति निर्धारण में अग्रिम भूमिका निभाने का काम किया। शीर्ष नेताओं में अंग्रेजों ने सबसे अधिक समय तक जेल में बंद रखा। मौलाना इकलौते ऐसे बड़े नेता थे जो विभाजन की कीमत पर आजादी पाने का अंत तक विरोध करते रहे। मौलाना अबुलकलाम आजाद का जन्म आज ही के दिन 11 नवम्बर 1888 को सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में हुआ था। विचारगोष्ठी में समीर खान, पार्षद मुजफ्फर हुसैन, संजय जैन ने भी देश के लिए किए गए मौलाना के योगदान को याद किया। आप आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। शिक्षाविद् सैयद उबेद अली एवं सादिक मंसूरी को मौलाना अबुलकलाम आजाद अवार्ड से सम्मानित किया गया। दिलशाद मंसूरी, संजीव मलहोत्रा, सैयद मोहसिन अली, शरीफ खान, सलीम सरकार, दीपक पांडे ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन हाजी इकबाल हुसैन ने किया। आभार संस्था सचिव पंकज जयसवाल ने माना। 

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