संत सामाजिक क्रांति के संवाहक होते हैं- डाॅ.मोहन गुप्त
श्री साईधाम समिति एवं श्री शिर्डी साईबाबा द्वारकामाई देवस्थान द्वारा अन्नकूट महोत्सव एवं सम्मान समारोह सोल्लास सम्पन्न
उज्जैन। भारतीय संस्कृति में त्यौहारों एवं उत्सवों का बहुत महत्व है। समय-समय पर संतों, मनीषियों एवं महापुरूषों का उदय समाज कल्याण के लिए होता है। संत सामाजिक क्रांति के संवाहक होते हैं।
उक्त उद्गार मुख्य अतिथि के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. मोहन गुप्त ने श्री साईधाम समिति एवं श्री शिर्डी साईबाबा द्वारकामाई अखंड धुनी देवस्थान द्वारा आयोजित अन्नकूट महोत्सव एवं सम्मान समारोह में व्यक्त किये। विशेष अतिथि पूर्व जिला सत्र न्यायाधीश शशिमोहन श्रीवास्तव ने संबोधित करते हुए कहा कि साईबाबा द्वारा 150 वर्ष सामाजिक सद्भावना,समरसता एवं सौहार्द्र का संदेश दिया है। मंचासीन सम्मानित अतिथि साहित्यकार आचार्य हरिमोहन बुधौलिया, आचार्य शैलेन्द्र पाराशर, कवि डाॅ. शिव चैरसिया, पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती, सीतला महागौशाला के स्वामी बालकृष्णदास, अभिभाषक बालकृष्ण उपाध्याय आदि ने सारगर्भित उद्बोधन दिये। रामानुजकोट के युवराज श्री माधव प्रपन्नाचार्य जीने कहा कि भारतीय त्योहार हमारी वैदिक परंपराओं को पीढ़ी- दर- पीढ़ी बनायें रखते हैं। श्री साईबाबा ने समाज में दुरूखियों, पीड़ितों एवं मानव सेवा को ईश्वर सेवा मानकर सर्वस्व अर्पित कर दिया। मंचासीन अतिथियों एवं सम्मानित साधु -संत, सैनिक, समाजसेवियों एवं वरिष्ठजनों का सम्मान शाल, श्रीफल से समिति के जयशंकर पुरोहित, दिनेश चैहान, रामप्रसाद परमार, जे.पी. पगारे, जितेन्द्र वर्मा, नीरज मालवीय, अभिषेक नामदेव, गौरव, मंगलेश शर्मा, धीरज तिवारी आदि ने किया। रांगोली अनूपमा रोकड़े की स्मृति एवं अन्नकूट महोत्सव मुकेश नीमा को समर्पित रहा। संचालन विजय दीक्षित ने किया एवं आभार अशोक आचार्य ने माना। कार्यक्रम पश्चात आरती हुई एवं भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।