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ग्रंथों में भरे गुरु प्रकाश से मूढ़ मान्यताओं और कुरीतियों को मिटाया जा सकता है



गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर मनाया गया गुरुनानक देव जी का 550 प्रकाशोत्सव
उज्जैन। मूढ़ मान्यताओं और जातीगत ऊंच-नीचता को तोड़ने की शुरुआत गूरु नानकदेव जी ने की। गुरुनानक देव जी ने हरिद्वार में पश्चिम की ओर मुख करके जल चढ़ाने पर पंडितों से कहा कि जब नदी किनारे खड़े होकर दिया जल लाखों मील दूर सूरज तक पहुंच सकता है, सौ-दो सौ मील हमारे खेतों में क्यों नहीं पहुंचेगा। गूरुनानक देव जी ने देश विदेश में यात्राएं की और कुरीतियों और मूढ़ मान्यताओं को मिटाया।
यह उदगार ज्ञानी अजीत सिंह जी ने गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर आयोजित गुरुनानक देव जी के 550 वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित समागम में व्यक्त किए। गायत्री परिवार के उपझोन समन्वयक पं दामोदर प्रसाद लवानिया ने परिजनों को बताया कि गुरु प्रकाश स्वरूप होता है जिसके सामने अंधकार नहीं टिकता। गुरुनानक देव जी गुरुग्रंथ साहिब के रुप में आज भी प्रकाश फैला रहे हैं। आपने परिजनों से नियमित स्वाध्याय करके गुरूदेव के विचारों को आत्मसात करने का अनुरोध किया। समारोह में गुरुद्वारा फ्रीगंज साहिब के ज्ञानी महल सिंहजी और सरदार भवनीत सिंह ने शब्द गायन किया, गायत्री परिवार के महिला मण्डलों द्वारा गुरु भक्ति के गीत और गाये।
कालीदास अकादमी के मेले में 25 नंबर दुकान में सदसाहित्य मिलेगा
हस्तशिल्प मेला में दुकान नं. 25 में रविवार को गायत्री परिवार के साहित्य विक्रय स्टाल का शुभारंभ उपक्षोन समन्वयक पं दामोदर प्रसाद जी लवानिया ने किया। यह गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन के साहित्य केंद्र के विस्तार पटल के रूप में रहेगा।

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