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जिसके पास आस, भगवान उसके दास, दरिद्र भक्त भी 56 करोड़ का मायरा लेकर पहुंचा



उज्जैन। भक्त के प्रेम में प्रभु साधारण मनुष्य के रूप में आकर भक्त की टूटी गाड़ी का पहिया भी ठीक कर देते हैं। जब भक्त दुख में होता है तो भगवान उसके दुखों पर सुख की वर्षा करते हैं।
अग्रोहा महिला विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में अग्रवाल भवन में चल रहे नानीबाई के मायरे की कथा के दूसरे दिन पं. अनिरूध्द्र मुरारी ने दूसरे दिन नरसिं मेहता की बेटी नानीबाई की पुत्री के विवाह आमंत्रण का नरसिं के घर पहुंचने और आमंत्रण के बहाने उनका अपमान करने के इरादे से 400 साल पहले करोड़ों के हीरे, मोती, कपड़े, सोना, चांदी की मांग करते हुए कहा कि यदि हमारी मांग पूरी कर सको तो ही विवाह में आना। नरसिं आमंत्रण देखकर अपमान में भी सम्मान महसूस करने लगे और विपत्ति की इस घड़ी में श्रीकृष्ण के हाथों सब छोड़ते हुए उनके चरणों में मांग पत्र रख दिया। जब भक्त का अपमान होता है तो प्रभु उसे सम्मान में बदल देते हैं, अहंकार विषपान के समान है, अहंकारी को अपने लक्ष्य की प्राप्ति कभी नहीं होती जो व्यक्ति प्रभु की सच्चे मन से भक्ति करता है उसे अपमानित होने पर क्रोध नहीं करना चाहिये बल्कि इसे भी प्रभु की इच्छा समझकर प्रभु को पुकारना चाहिये। जिस तरह नरसिं ने अपमान को भी सम्मान समझा और पास में फूटी कोड़ी न होते हुए भी अपनी पुत्री का मायरा भरने अंजारनगर से जूनागढ़ एक टूटी गाड़ी में भगवान का चित्र रखकर निकल पड़े, रास्ते में गाड़ी भी टूट गई पर आस न टूटी और भक्त के कष्ट में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं 56 करोड़ का मायरा लेकर जूनागढ़ पहुंचे। कथा में जरा हल्के गाड़ी हांकों मेरे राम, प्रभुनाम का सहारा, कीर्तन की है रात, अरे जा रहे हठी, जैसे भजन पर भक्तों ने जमकर ठुमके लगाये। संचालन अनिता गोयल ने किया। मंच व्यवस्था और गुरू पूजन हेमलता गुप्ता, तृप्ति मित्तल, सरोज अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, पुष्पा बागड़िया ने की। 
उत्सव के साथ आज होगा समापन
कथा का समापन आज उत्सव के साथ होगा। नानीबाई का मायरा भरा जाएगा। मंच पर नरसिं मेहता, श्रीकृष्ण, राधारानी, रूक्मणी के साथ बराती रहेंगे और जब गरीब भक्त के रथ पर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण 56 करोड़ का मायरा लेकर पहुंचेंगे तो जूनागढ़ में आकाश से पुष्पवर्षा का दृश्य दिखाई देगा, इसी के साथ कथा का समापन होगा। 

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