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फिर उठने लगी मांग...स्वीकृत करो चिंतामन गणेश मंदिर का मास्टर प्लान



उज्जैन। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत 90 करोड़ की लागत से चिंतामन से गोंदिया ट्रेचिंग ग्राउंड तक का  चौड़ीकरण व सेंट्रल लाइटिंग लगाने का कार्य 7 वर्षों पूर्व स्वीकृत किया गया था लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इस योजना को निरस्त कर दिया गया। जिससे इन 7 वर्षों में स्थितियां यह निर्मित हुई की 3 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंच मार्ग पर मैरिज गार्डन बनाए जाने से ना सिर्फ यहां घंटो जाम लगने लगा बल्कि प्रसिद्ध देवस्थल चिंतामन गणेश मंदिर व ट्रेचिंग ग्राउंड का उनका मुख्य मार्ग होने से भी मार्ग पर आवागमन इतना अधिक होने लगा कि जाम के कारण क्षेत्रवासियों के परेशान होने के साथ ही एंबुलेंस व मुक्ति वाहन भी इस जाम में फंसते नजर आने लगे। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि अभी इस मास्टर प्लान को लेकर उदासीन बने हुए लेकिन क्षेत्रवासियों के बीच 7 वर्षों पूर्व बनाए गए मास्टर प्लान को फिर से लागू करने की बात जोर पकड़ने लगी है।
उज्जैन नगर में रहने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे चिंतामन मार्ग पर जाने की कभी जरूरत न पड़ी हो। चिंतामन मार्ग सांवेर विधानसभा, गौतमपुरा विधानसभा एवं देपालपुर विधानसभा पहुंचने का एक प्रमुख मार्ग है। जिसके चौड़ीकरण की आस क्षेत्रवासी पिछले 7 वर्षों से लगाए बैठे हैं। उक्त मार्ग का कुछ हिस्सा सिंहस्थ क्षेत्र में भी आता है इसीलिए क्षेत्रवासियों को भरोसा था की सिंहस्थ में इस मार्ग का भी उद्धार हो जाएगा परंतु देखते ही देखते सिंहस्थ समाप्त हो गया और मार्ग के दोनों और दुकानदारों और मैरिज गार्डन के संचालकों का 15 से 20 फुट तक अतिक्रमण हो गया। वर्तमान में स्थितिया यह है कि एक और धार्मिक स्थल चिंतामन गणेश और हासामपुरा पर आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है तो वहीं 3 विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही ट्रेचिंग ग्राउंड पहुंचने का एकमात्र मार्ग होने से भी ट्रक डंपर व बड़े वाहन यहाँ दौड़ते रहते हैं। बताया जाता है कि कुछ दिनों पूर्व ही लोक निर्माण विभाग मंत्री व प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा को क्षेत्र के लोगों ने ज्ञापन देकर चिंतामण से गोंदिया हासामपुरा रोड से अतिक्रमण हटाकर पूर्व में बनाए गए मास्टर प्लान को लागू करने का निवेदन श्री वर्मा से किया था।
इसीलिए आवागमन है अधिक
बताया जाता है कि उक्त मार्ग पर प्रसिद्ध चिंतामन गणेश मंदिर होने के साथ ही जैन तीर्थ हासामपुरा भी है। वहीं महाकाल मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद प्लांट, गुरुकुल, गौशाला, राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान का प्रमुख कार्यालय नगर निगम का गोंदिया ट्रेचिंग ग्राउंड, रेलवे स्टेशन चंद्रावतीगंज का निर्माणाधीन स्टेशन, अवंतिका विश्वविद्यालय होने से मार्ग पर चौपहियां वाहनों के साथ ही दो पहिया वाहनों का आवागमन भी बड़ा है। वही उक्त मार्ग गौतमपुरा, फतेहाबाद, लेकोडा, गिरोता, देपालपुर के साथ ही सैकड़ों गांव में जाने का एकमात्र मार्ग है इसीलिए भी मार्ग पर बार-बार जाम लगने की समस्या उत्पन्न होने लगी है। 
वादे हैं वादों का क्या....
बताया जाता है कि वर्ष 2012 में प्रदेश के तत्कालीन आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव इकबालसिंह बैंस ने बृहस्पति भवन में सिंहस्थ की तैयारियों के मद्देनजर एक समीक्षा बैठक ली।  जिसमें चिंतामन मार्ग से वाया हासामपुरा होकर इंदौर मार्ग तक 9 करोड़ की लागत से फोरलेन बनाने की अनुशंसा की गई थी। जबकि 19 करोड रुपए की लागत से हासमपुरा जैन तीर्थ मार्ग चौड़ीकरण के साथ ही सेंट्रल लाइटिंग की बात भी कही गई थी।लेकिन 7 वर्ष बीतने के बावजूद भी आज दिनांक तक ना तो उक्त सड़क पर फोरलेन निर्माण हो पाया है और ना ही करोड़ों रुपयों की राशि स्वीकृत होने के बाद सेंट्रल लाइटिंग का काम हुआ है। बताया जाता है कि वर्ष 2016 में नगर निगम द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से अट्ठारह चौराहों के सौन्दर्यीकरण का भी निर्माण करवाया गया था जिसमें चिंतामण मार्ग स्थित जवासिया चौराहा भी शामिल था।     जहां 13 लाख 64 हजार की राशि से निर्माण किया जाना था, परंतु इस दौरान भी चौराहे का सौन्दर्यीकरण नही हुआ। 
मंदिर समिति के पदाधिकारी नाराज
श्री चिंतामन गणेश मंदिर पहुंच मार्ग पर श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रसादी निर्माण स्थल भी है। यहां निर्मित होने वाले लड्डूओ का एक काउंटर चिंतामण मंदिर में लगाने और श्री चिंतामन गणेश की प्रसादी का निर्माण करने का प्रस्ताव श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति अध्यक्ष को दिया गया था लेकिन आज दिनांक तक जिम्मेदारों ने इस प्रस्ताव पर कोई अमल नहीं किया है। चिंतामण मंदिर समिति के पदाधिकारियों में रोष व्याप्त है। 
3 साल बीते, नल से कब आएगा पानी
बताया जाता है कि क्षेत्रवासियों को पेयजल इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से क्षेत्र में तीन पानी की टंकियों का निर्माण किया जा चुका है वही पाइप लाईन भी डाल दी गई है लेकिन अधिकारियों का सामान्यजस्य न होने से आज भी क्षेत्रवासी पेयजल के लिए परेशान हो रहे हैं और करोड़ों रुपयों का निर्माण कार्य अनउपयोगी साबित हो रहा है।
मंत्री ने लिखा था पत्र - फोरलेन है जरूरी
इस पूरे मामले में जाने वाली बात यह भी है कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री पारस जैन ने वर्ष 2014 में तत्कालीन संभाग आयुक्त को पत्र लिखकर बताया था कि शिप्रा ब्रिज से हासमपुरा तक फोरलेन निर्माण कार्य होना चाहिए क्योंकि उक्त मार्ग पर आवागमन अधिक रहता है इसीलिए मार्ग का न सिर्फ चौड़ीकरण किया जाए बल्कि यहां सेंट्रल लाइटिंग भी लगाई जाए। मंत्री जी द्वारा लिखे गए पत्र के बाद कुछ समय तक अधिकारी मार्ग को चौड़ा करने की बात कहते रहे लेकिन आज दिनांक तक ना तो मार्ग का चौड़ीकरण हुआ है और ना ही यहां सेंट्रल लाइटिंग लगाई गई है।

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