साकेतनगर में हुआ बगीचा चोरी, साईनाथ नगर का कर रहे मुआयना
जांच भटकाने के लिए भ्रष्ट अधिकारी, पार्षद कर रहे गुमराह-कलेक्टर, संभागायुक्त, निगमायुक्त, आईजी को शिकायत
उज्जैन। साकेत नगर में बगीचा चोरी के मामले मे समाजसेवी धनराज गेहलोत द्वारा की गई शिकायतों के बाद लीपापोती करने के लिए नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी तथा पार्षद अब अधिकारियों को गुमराह करने में लग गए हैं, साकेत नगर में बगीचे के नाम पर लाखों निकाल लिये, अब जांच बंद कर मामला दबाने के लिए पार्षद और अधिकारियों ने साकेतनगर के नाम पर साईनाथ नगर का मौका मुआयना कर वहां अतिक्रमण दर्शाकर मामला भटकाने की कोशिश की है। जबकि जिस जमीन पर अतिक्रमण बताया जा रहा है वहां हाथीवाला को शासन ने पट्टे पर जमीन दी है तथा सुरेश पाल ने 1998 में लालाबाई से खरीदी थी जिसकी रजिस्ट्री भी उनके पास है। पार्षद तथा अधिकारियों द्वारा मामले को भटकाकर अपने किये पर पर्दा डालने की की रही कोशिशों की शिकायत धनराज गेहलोत ने बुधवार को संभागायुक्त, आईजी, कलेक्टर तथा निगमायुक्त को की।
धनराज गेहलोत ने बताया कि अधिकारी एवं पार्षद द्वारा मिली भगत कर साईनाथ नगर के अतिक्रमण का उल्लेख करते हुए साकेत नगर के बगीचे को होना बता रहे हैं जबकि साकेत नगर में किसी प्रकार का कोई बगीचा था तो उसका सामान कहां गया और बगीचा कहा गया। जिसके नाम पर निगम के अधिकारी व पार्षद लाखों रूपये ले चुके हैं। उसका हिसाब नहीं दे पा रहे हैं और न ही बगीचे को बता पा रहे हैं तथा उक्त सब कार्यवाहियों पर पर्दा डालने का वह गुमराह करने का प्रयास निरंतर कर रहे हैं, इसकी विधिवत जांच भी नहीं की जा रही है। धनराज गेहलोत ने आवेदन पत्र देकर मांग की कि उक्त जांच किसी अन्य विभाग के अधिकारी या सीबीआई से करवाई जाए तो वास्तविकता सामने आ सकेगी तथा नगर पालिका निगम के अधिकारी व पार्षद के भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकेगा। साथ ही मांग की कि नगर निगम के अधिकारियों व पार्षद के विरूध्द वैधानिक कार्यवाही की जावे तथा सुरेश पाल व टाईगिरी बाबा के न्यायालयीन प्रकरण साईनाथ नगर उज्जैन के नाम पर विचाराधीन है जिसको साकेत नगर से बगीचे से जोड़े जाने की असत्य कहानी रची जा रही है इस कारण से उसका विधिवत जांच हो तथा भ्रष्ट अधिकारियों और पार्षद को अयोग्य घोषित किये जाने की कार्यवाही की जावे।
शास्त्रीनगर निवासी धनराज गेहलोत ने शिकायती आवेदन देकर कहा कि साकेत नगर के बगीचा चोरी के मामले में की गई शिकायत की जांच की जा रही है लेकिन उसमें अनियमितता करते हुए नगर निगम के अधिकारी व पार्षद मिलीभगत करके उक्त जांच को प्रभावित करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि अधीक्षण यंत्री प्रदीप निगम द्वारा पार्षद विजय दरबार के साथ मौका मुआयना किया गया उसमें बताया गया कि साकेत नगर में अतिक्रमण है जबकि साकेत नगर में किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण नहीं है तथा जिसकी शिकायत की गई है उसका मौका मुआयना भी नहीं किया गया है। साईनाथ नगर में टाईगिरी बाबा जिनकों वर्षों पहले शासन के द्वारा पट्टा दिया गया है वहां उक्त पट्टे की भूमि पर नगर पालिका निगम के आला अधिकारी द्वारा बगीचा निर्माण के लिये राशि कैसे स्वीकृत की गई तथा बगीचा कैसे स्वीकृत किया गया यह अपने आप में सोचने का विषय है। क्योंकि शासन के रिकॉर्ड में पट्टा आवंटित था तो उक्त पट्टे को अनदेखा करते हएु बगीचा स्वीकृत करना अपने आप में भ्रष्टाचार से लिप्त होने की कहानी बयान करता है। वहीं साईनाथ नगर में ही सुरेश पाल नामक व्यक्ति जो कि रजिस्ट्रर्ड विक्रय पत्र के आधार पर वर्षों से वहां पर निवास कर रहा है जिसका नगर पालिका निगम में नामांतरण भी है तो उक्त नामांतरण व विक्रय पत्र को अनदेखा करते हुए केवल पार्षद व अधिकारियों ने आपस में मिलकर बगीचे को स्वीकृत किया है।