किसान मिट्टी परीक्षण के उपरान्त ही उर्वरक का उपयोग करें
उज्जैन । जिले के किसान अभी खरीफ की तैयारियों में लगे हैं, खेतों की हकाई-जुताई चल रही है। यही सही समय है जब किसान अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवा सकते हैं। मिट्टी परीक्षण के लिये सही तरीके से नमूने एकत्रित किये जाना चाहिये। किसान कल्याण विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि वे मिट्टी परीक्षण के उपरान्त ही उर्वरक का उपयोग करें, जिससे उन्हें उपज बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
उप संचालक कृषि ने बताया कि मिट्टी पोषक तत्वों का भण्डार है तथा पौधों को सीधे खड़ा रहने के लिये सहारा देती है। पौधों को पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों को फसलों की आवश्यकता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। हवा से मिलने वाले प्रमुख तत्व नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन हैं तथा मिट्टी से मिलने वाले प्रमुख तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश होते हैं। गौण तत्वों में कैल्शियम और मेग्निशियम शामिल है। साथ ही सूक्ष्म तत्वों में लोहा, कोबाल्ट, सिलिका, तांबा, जस्ता, बोरान, क्लोरीन और मॉलीब्डेनम है। इन तत्वों का यदि संतुलित मात्रा में उपयोग किया जाता है कि अच्छी पैदावार ली जा सकती है। जमीन में किस चीज की कमी है, इसकी जानकारी मिट्टी परीक्षण से ही प्राप्त की जा सकती है।
मिट्टी का नमूना लेने की सही विधि
मिट्टी परीक्षण के लिये आवश्यक है कि मिट्टी का नमूना ऐसा लिया जाये जो पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करे। यदि नमूना ठीक ढंग से न लिया गया हो तो भले ही मिट्टी परीक्षण में कितनी भी सावधानियां बरती जायें, सही परिणाम सामने नहीं आते हैं और उसका लाभ नहीं मिलता है। मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका यह है कि खेती की मिट्टी की बनावट के मुताबिक खेत के हिस्से को बांटा जाये और 8-10 स्थानों पर चिन्हांकन किया जाये। प्रत्येक चुने हुए स्थानों की ऊपरी सतह पर कूड़ा-करकट या घांस आदि हो तो उसे हटा दें। चिन्हित जगहों को साफ करें और 'वी' आकार का 9 इंची गड्ढा बनायें। खुरपी या फावड़े से गड्ढ़े की तली से 1 इंच मोटी परत निकाली जाये और उसे साफ और सूखे बोरे या तसला में रखें। इस तरह से 8-10 स्थानों से एकत्रित की गई मिट्टी को अच्छी तरह मिलाकर मोटी तह में फैला लें। मिली हुई मिट्टी के एकसमान 4 भाग करें।, 2 भाग रखें, 2 भाग छोड़ दें। इस प्रक्रिया को दोहराते रहें, जब तक कि 500 ग्राम मिट्टी शेष न रहे। इस 500 ग्राम मिट्टी को पॉलीथीन या कपड़े में रख लें। नमूने की 1 प्रति अपने पास रखें तथा दूसरी प्रति मिट्टी परीक्षण शाला में जमा कर दें। मिट्टी का नमूना लेते समय ध्यान रखा जाये कि असामान्य क्षेत्र से नमूना न लें। ऐसे खेतों से नमूने नहीं लिये जायें, जहां हाल ही में उर्वरक डाले गये हो। जहां कतार में फसल उगाई गई हो, वहां कतार के बीच मिट्टी से नमूना लेना चाहिये। मिट्टी का नमूना लेने के लिये खुरपी, रबर ट्यूब आदि का उपयोग किया जाये। जिस थैली में नमूना लिया जा रहा है, उस पर किसान का नाम, गांव का नाम, खेत का नम्बर आदि विवरण लिखा होना आवश्यक है। नमूने को खाद के बोरों और गोबर से दूर रखने की सलाह दी गई है।
किसान कल्याण विभाग द्वारा किसानों से आग्रह किया गया है कि वे अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण अवश्य करायें। इससे भूमि के खराब होने का खतरा कम रहता है। फसल के लिये खाद एवं उर्वरकों की आवश्यक एवं संतुलित मात्रा का पता लगाया जा सकता है। संतुलित मात्रा में उर्वरक डालने से किसानों को पैसे की बचत भी होती है।