अपशिष्ट प्रबंधन समझने के लिये बनारस से आये अधिकारी
उज्जैन । शहरों में बढ़ते कचरे व गन्दगी से निपटने के लिये वर्तमान समय में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, बायोरेमेडिएशन (जैवोपचारण) जैसी तकनीक की आवश्यकता को देखते हुए बनारस नगर पालिक निगम के अधिकारी गुरूवार को उज्जैन कलेक्टर श्री मनीष सिंह व नगर निगम आयुक्त उज्जैन डॉ.विजय कुमार जे. से मिले। मेला कार्यालय में कलेक्टर श्री सिंह ने पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन की विस्तार से जानकारी दी।
जानकारी में बताया गया कि जैवोपचारण पद्धति द्वारा प्रदूषित स्थान पर ही प्रदूषण का उपचार किया जा सकता है। इसके लिये मिट्टी या तलछट को खोदकर हटाने या पानी को पम्प कर बाहर निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। जैविकोपचारित भूमि पर ही ग्रीन बेल्ट भी निर्मित किया जा सकता है। इस पद्धति से अतिउपजाऊ मिट्टी निकलती है, जोकि पेड़-पौधों की विकास के लिये पोषक तत्व प्रदान करती है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से उपजाऊ मिट्टी के साथ-साथ बायोगैस भी प्राप्त होती है। ये अपने आप में एक सम्पूर्ण चक्र है, जो पर्यावरण से कचरा व गन्दगी हटाने का काम तो करता ही है, साथ ही ईंधन भी देता है। इसके लिये 6-6 एकड़ के हिस्से में 2 मशीनें लगाकर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन किया जा सकता है। मशीन की लागत 18 से 20 लाख रूपये है।
इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन किया ही जा रहा है। प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए गीले व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित करना होगा। साथ ही सूखे कचरे में से भी गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा कलेक्शन वाहन में नहीं डालते हुए उसे कबाड़ी को देना चाहिये। गीले कचरे से अच्छा खाद बनाया जा सकता है। पेड़-पौधे, बगीचे आदि में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।