top header advertisement
Home - उज्जैन << करोड़ों खर्च किये फिर भी खान का पानी पिला रहे, शहरवासी हो रहे बीमार

करोड़ों खर्च किये फिर भी खान का पानी पिला रहे, शहरवासी हो रहे बीमार


कांग्रेस पार्षद दल ने निगमायुक्त से मिलकर शहर को प्रतिदिन नर्मदा का शुध्द जल देने की मांग की

उज्जैन। क्षिप्रा को शुध्द रखने हेतु सरकार ने करोड़ों रूपये खर्च कर दिये बावजूद क्षिप्रा में खान का दूषित पानी मिल रहा है। यही दूषित पानी जनता को पेयजल के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसके कारण शहर की जनता को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में प्रतिदिन शुध्द पेयजल प्रदान करने की मांग को लेकर बुधवार को कांग्रेस पार्षद दल नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के नेतृत्व में निगम कमिश्नर विजयकुमार जे से मिला। साथ ही शहर की प्रमुख मुलभूत समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। 

नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार शहर में पेयजल की स्थिति काफी खराब है, शहर की जनता को कब दबाव से खान नदी का दूषित पानी सप्लाई किया जा रहा है जिसके कारण डायरिया, हैजा जैसी बीमारियां फैल रही हैं। कई कॉलोनियों एवं बस्तियों में तो पीने का पानी ही उपलब्ध नहीं हो पा रहा। इस संबंध में कांग्रेस पार्षद दल द्वारा दौरा किया गया और खान नदी के गंदे पानी को क्षिप्रा में मिलने से रोकने हेतु जिम्मेदारों को पत्र लिखा लेकिन आज तक स्थिति जस की तस है। राजेन्द्र वशिष्ठ के साथ पार्षद माया राजेश त्रिवेदी, उपनेता प्रतिपक्ष विजयसिंह दरबार, जफर एहमद सिद्दीकी, आत्माराम मालवीय, रहीम लाला, गुलनाज नासिर खान, प्रमिला मीणा, सपना सांखला, हिम्मतसिंह देवड़ा, रेखा गेहलोत, मीना तिलकर, ताराबाई मालवीय आदि ने निगमायुक्त को ज्ञापन सौंपकर आवश्यक कार्यवाही की मांग की।

करोड़ों खर्च किये फिर भी नहीं मिल रहा नर्मदा का पानी

शहर में करोड़ों रूपये खर्च कर नर्मदा नदी के पानी को क्षिप्रा नदी के पानी से जोड़ा गया है इसके बावजूद शहर की जनता प्यासी है। वर्तमान में शहर की जनता को प्रतिदिन पानी नहीं दिया जा रहा। एक दिन छोड़कर मिल रहा वह भी काफी कम दबाव से। कमिश्नर से आग्रह किया कि नर्मदा नदी का पानी उज्जैन में क्षिप्रा नदी में लाने की व्यवस्था करें। 

पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था हो

वर्तमान में शहर में जल संकट बना हुआ है। शहर में कई जगह टैंकर जाते हैं तो पानी भरने के दौरान रहवासियों में विवाद की स्थिति निर्मित होती है। ट्यूबवेल या अन्य वैकल्पिक व्यवस्था की जाना चाहिये जिससे अगर नर्मदा का पानी नहीं आता है और प्रतिदिन शहर को पानी सप्लाय नहीं कर सकते तो वैकल्पिक व्यवस्थाओं के माध्यम से पीने का पानी शहरवासियों को पिलाया जा सके। 

वित्तीय वर्ष 2018-19 से संबंधित पार्षद मद, गंदी बस्ती मद एवं ग्रामीण क्षेत्रों के वार्डों हेतु मदों से कार्य कराये जाने हेतु मद अंकित किये जाने हेतु संबंधित शिल्पज्ञ विभाग को निर्देशित करें एवं मद अंकित नहीं किये जाने से वार्डों के निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कई वार्ड ऐसे हैं जिसमें गांव क्षेत्र शामिल है जिसमें निर्माण कार्य नाला, नाली, सड़क की काफी आवश्यकता है।

Leave a reply