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सैनिक से विवाद मामले में मां ने लिखा खुला पत्र


 

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री, गृहमंत्री, सेना कमांडेंट को भेजे पत्र में लिखा दिनेश ने सैनिक शब्द को कलंकित किया 

उज्जैन। 24 मार्च को चेरीटेबल हॉस्पिटल के बाहर अंकपात मार्ग पर मोटर साईकिल रखने के नाम पर सैनिक दिनेश जालवाल का भावसार परिवार से हुए विवाद में दोनों पुत्रों तथा पति के जेल जाने तथा जमानत पर रिहा होने के बाद महिला ने उक्त विवाद पर ‘एक मां का खुला पत्र’ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री तथा सेना कमांडेंट को लिखा। खत में दिनेश पर अभद्रता करने के आरोप लगाते हुए कहा कि उसने सैनिक शब्द को कलंकित किया।

24 मार्च को सैनिक दिनेश जालवाल का मोटर साईकिल रखने के नाम पर विवाद हनी भावसार और सनी भावसार से हुआ था। मामले में दिनेश ने दोनों की नामजद तथा अन्य की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में दोनों के पिता दिलीप भावसार को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया और तीनों को जेल भेज दिया। जेल से जमानत मिलने के बाद हनी, सनी की मां तथा दिलीप भावसार की पत्नी ज्योति भावसार ने एक पत्र प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री तथा सेना कमांडेंट के नाम लिखकर दिनेश पर सैनिक होने के कारण झूठी सहानुभूति बटोरने तथा मिथ्या प्रलाप करने के आरोप लगाए। ज्योति ने पत्र में लिखा कि इस घटना की सत्यता जानने हेतु सैनिक के सामने दूसरे पक्ष भावसार परिवार को किसी ने नहीं सुना। चेरीटेबल में पार्किंग की व्यवस्था है, 5 रूपये बचाने के चक्कर में दिनेश ने मोटर सायकल अंकपात मार्ग पर रखी। जिसके कारण विवाद हुआ। साधारण वेशभूषा में आये दिनेश के बारे में जानकारी भी नहीं थी कि वह सैनिक है। ज्योति ने खत में लिखा हमारे परिवार में किसी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। गाड़ी हटाने को कहा तो दिनेश ने अभद्रता की। यदि मेरे घर के सामने मेरे पति को गंदी गाली गलौच करते हुए धक्का देकर जमीन पर नहीं गिराता, गन्ना खींचकर नहीं मारता तो यह घटना नहीं होती। सैनिक शब्द का नाजायज सहारा लेकर हमें अपराधी सिध्द कर दिया। पद की आड़ में स्वयं की गलतियों को छिपाकर दिनेश ने अपनी राजनीतिक पहुंच का दुरूपयोग करके भावसार परिवार की रिपोर्ट भी नहीं होने दी जबकि घटना के बाद थाने दोनों पक्ष पहुंचे थे। बिना मेडिकल चेकअप के ही थाने से ही धारा 326 के तहत प्रकरण दर्ज करवा दिया। दिनेश ने प्रचार किया कि सांसद और मंत्री के संरक्षण में कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि बड़ा बेटा 26 दिन जेल में रहा और छोटा बेटा तथा पति 5-6 दिन जेल में रहे। मुश्किल से जमानत हुई। यदि एक पक्षीय कार्यवाही होती तो क्या तीनों को जेल जाना पड़ता। पत्र में लिखा कि दिनेश एनएसजी की ट्रेनिंग बेकार जाने, प्रमोशन न होने, भविष्य में कहीं और नौकरी नहीं मिलने जैसी झूठी बातें प्रचारित कर रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि उसके कारण मेरे परिवार पर जेल जाने का अमिट कलंक लग चुका है। दोनों बेटी विद्यार्थी है बड़े बेटे ने हाल ही में इंजीनियरिंग किया है और छोटा बेटा आईटीआई कर रहा है, दोनों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। ज्योति ने पत्र में लिखा कि हम सैनिक समुदाय का सम्मान करते हैं। किंतु दिनेश ने ऐसा कृत्य कर सैनिक शब्द को कलंकित किया है। वैसे अब यह प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन जनता जनार्दन से अनुरोध करना चाहती हूं कि बिना सत्यता को परखे किसी भी निष्कर्ष पर न पहुंचे। 

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