मंदिर एवं क्षिप्रा तट पर अनाधिकृत पुजारी एवं पंडो की घुसपैठ पर रोक लगाई जाए
उज्जैन। अवंतिका नगरी उज्जैन प्राचीन मंदिर एवं क्षिप्रा नदी होने से इस
नगरी का महत्व कई गुना शास्त्रों में विद्यमान है। प्राचीन समय से ही
मंदिरों में पुजारी वंश परंपरागत एवं तीर्थ नदियों पर परंपरागत पंडा
पुरोहित पूजा एवं यजमानी करते आये हैं जिसके लेख एवं परंपरायें पुजारी
एवं पुरोहितों के पास उपलब्ध है। इसके पश्चात भी अनाधिकृत लोगों की
नियुक्ति करना नियम विरूध्द है।
इस आशय का एक पत्र संभागायुक्त को अखिल भारतीय पुजारी महासंघके संयोजक
महेश पुजारी ने भेजा है। पत्र में 27 अगस्त 2008 में प्राचीन परंपरा को
अक्षुण्य बनाये रखने बाबत जिलाधीश, अनुविभागीय अधिकारी तहसील घट्टिया,
उपसचिव धर्मस्व विभाग को भेजा गया था जिसमें परंपरागत वंशानुगत पुजारी
महंतों की परिभाषा, नेमनुक दार ब्राह्मण की परिभाषा एवं शासकीय पुजारी की
परिभाषा का भी स्पष्टीकरण किया गया है।
मंदिरों के सरकारीकरण के पश्चात अनाधिकृत लोगोें द्वारा मंदिरों में
घुसपेठ कर पुजारी बनने की चेष्टा की जा रही है। ऐसे लोग परंपरागत
पुजारियों के लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं। नगर के समस्त मंदिरों में
पूजा पाठकरने वाले तथा क्षिप्रा तट पर बैठने वाले ब्राह्मण गर्भगृह में
घुसने की चेष्ठा करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि खेत में लगाई बागर खेत
खाने की इच्छा रखती है। पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अधिकारी
वर्ग पूर्ण जांच कर एवं संतुष्ट होने के पश्चात ही नियुक्ति करें तथा
जहां नियुक्ति की जाती है वहां वंशानुसार पुजारी पूजा करते हैं या नहीं
इसका भी सर्वे होना आवश्यक है। जिसमें मंदिरों के वंशानुगत पुजारी
क्षिप्रा नदी के पंडों का हनन न हो।