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गुरूकुल सम्मेलन आयोजित कर मप्र शासन ने मानवहित एवं वैश्विक बंधुता का कार्य किया है


 

प्रतिभागियों ने आयोजन एवं व्यवस्थाओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की

    उज्जैन । मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा भारतीय शिक्षण मण्डल एवं महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान के सहयोग से यहां आयोजित 3 दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय विराट गुरूकुल सम्मेलन एवं उसमें की गई व्यवस्थाओं की देश-विदेश से आए प्रतिभागियों ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की है तथा इस सार्थक एवं अभिनव आयोजन के लिये मध्य प्रदेश शासन को साधुवाद दिया है।

    काठमांडू नेपाल से आए प्रतिभागी डॉ.रामकृष्ण तिमलसेना ने इस अद्वितीय आयोजन के लिये मध्य प्रदेश शासन को धन्यवाद देते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश शासन ने गुरूकुल सम्मेलन आयोजित कर मानवहित एवं वैश्विक बंधुता का कार्य किया है। इसके माध्यम से प्राचीन भारतीय गुरूकुल शिक्षण पद्धति का प्रचार पूरी दुनिया में होगा। उन्होंने कहा कि हम सब उस सनातन संस्कृति के हिस्से हैं, जिसका लोहा किसी समय में सारी दुनिया मानती थी, परन्तु समय के साथ हम उसे भूलते गए। भारत एवं नेपाल दोनों को हमारी वैदिक सनातन संस्कृति पर गर्व है।

    नागपुर महाराष्ट्र से आए प्रो.संजय खड़तकर एवं उनकी पत्नी श्रीमती धारणा खड़तकर ने बताया कि सम्मेलन में हमारे वैदिक ज्ञान, योग, आध्यात्म, गुरूकुल शिक्षा प्रणाली का हमें ज्ञान प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश शासन द्वारा विराट एवं सार्थक आयोजन किया गया है। इसका अनुकरण देश के अन्य राज्यों को भी करना चाहिए। स्वागत से लेकर आवास, भोजन, आवागमन आदि की व्यवस्थाएं उत्कृष्ट हैं। गुरूकुल यहां सजीव हो उठा है। परिसर में आने-जाने के लिये बैटरीचलित वाहनों की व्यवस्था उत्तम है।

    सिवाड़ जिला सवाई माधोपुर के श्री प्रेमप्रकाश शर्मा ने बताया कि उन्हें कार्यक्रम में भाग लेने के लिए राजस्थान शिक्षण मण्डल की ओर से सूचना प्राप्त हुई थी। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के उद्बोधन को अत्यन्त प्रेरक बताया तथा कहा कि यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति का दिग्दर्शन कराने के साथ ही हमारी गुरूकुल शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित करता है। मध्य प्रदेश शासन द्वारा इस गरिमामय आयोजन के माध्यम से भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में फैलाने का कार्य किया गया है।

    जयपुर से आईं प्रतिभागी सुश्री लता शर्मा ने बताया कि भारतीय संस्कृति, वेद, प्राचीन शिक्षण पद्धति, योग आदि की विषद जानकारी देने वाला इतना श्रेष्ठ आयोजन उन्होंने कहीं नहीं देखा। इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश शासन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारी गुरूकुल शिक्षा प्रणाली तथा प्राचीन सनातन संस्कृति को विश्वभर में फैलाने के लिये ऐसे आयोजनों की अत्यधिक उपादेयता है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में प्रतिभागियों को जितना आदर, मान एवं सम्मान मिल रहा है, उतना आजतक अन्यत्र कहीं नहीं मिला।

    ऋषिकेश उत्तराखंड के श्री मुकेश कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में जिस साधनायुक्त शिक्षण व्यवस्था की बात कही है, वही आदर्श शिक्षा पद्धति है तथा उसका प्रचार पूरी दुनिया में होना चाहिये। यह शिक्षा प्रणाली प्राचीनकाल से हमारे देश में थी, परन्तु आज वह गौण हो गई है तथा शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। आज शिक्षा के शुद्धीकरण की आवश्यकता है और वह वैदिक परम्परा के निर्वाह से ही संभव है।

    औरंगाबाद महाराष्ट्र के श्री श्रीराम विनायकराव धानोरकर बताते हैं कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन को देखकर वे दंग रह गए। इतना भव्य, इतना विराट तथा इतना सफल आयोजन उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। सम्मेलन में आधुनिक युग में गुरूकुल शिक्षा के महत्व एवं आवश्यकता को भलीभांति बताया गया है। हमारी शिक्षा वसुधैव कुटुम्बकम की है, अर्थात हम पूरी धरती को परिवार मानते हैं। उन्होंने हर घर में वेद के पठन-पाठन तथा संस्कृत भाषा एवं गुरूकुल पद्धति के प्रचार-प्रसार को अत्यधिक आवश्यक बताया।

    लखनऊ उत्तर प्रदेश के विष्णुदत्त पाण्डे इस आयोजन के लिए मध्य प्रदेश शासन तथा विशेष रूप से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त करते हैं, क्योंकि उन्होंने इस आयोजन में अपना उद्बोधन देते हुए मध्य प्रदेश में गुरूकुल खोलने की घोषणा की है। वे बताते हैं कि वे स्वयं भगवान परशुराम के जमदग्नि आश्रम पर शोध कर रहे हैं तथा ऐसे में गुरूकुल प्रारम्भ किए जाने की घोषणा अत्यन्त सुखद है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि 12वी कक्षा तक संस्कृत को किसी न किसी रूप में अनिवार्य किया जाना चाहिये, जिससे बच्चे हमारी पुरानी संस्कृति, सभ्यता, योग, अध्यात्म आदि के विषय में जान सकें।        

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