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पेड़-पौधों के प्रति प्रेम, अहाते को बना डाला आश्रम



सिंहस्थ की यादों में रौपे थे पौधे, जो अब बन गए पेड़-2016 में लगी प्याउ अब तक बुझा रही राहगीरों की प्यास-जहां बैठकर लोग शराब पीते थे अब परिवार के साथ बैठकर लोग लेते हैं पिकनिक का मजा
उज्जैन। सिंहस्थ 2016 में हजारों प्याउ उज्जैन शहर में लगी होंगी लेकिन उनमें से इक्का-दुक्का ही प्याउ हैं जो अब तक लोगों की प्यास बुझा रही है वहीं पर्यावरण के नाम पर अब तक लाखों पौधे रौंप दिये गये होंगे लेकिन इनमें से पेड़ कितने बने यह सब जानते हैं। लेकिन चिंतामण गणेश मंदिर से आगे जवासिया चौराहा आउटर रिंग रोड़ पर सिंहस्थ में लगी प्याउ अब तक राहगीरों की प्यास बुझा रही है। जिस जमीन पर सिंहस्थ में यह प्याउ लगी थी वह वीरान पड़ी थी और लोग उस से पहले इस जगह को अहाते के नाम से पुकारते थे जहां आवारा लोग शराब खोरी करते थे लेकिन अब इसे आश्रम के नाम से पुकारा जाता है और यहां सिंहस्थ के बाद रौपे गए सैकड़ों पौधे अब पेड़ बनकर फल और फूल के साथ ताजी हवा और छाया दे रहे हैं।

चिंतामण प्रबंध समिति सदस्य पदमसिंह पटेल के प्रयासों से सिंहस्थ के दौरान जवासिया चौराहा आउटर रिंग रोड़ पर प्याउ लगवाई थी जो अब तक चल रही है और यहां 24 घंटे पानी उपलब्ध रहता है। सिंहस्थ के बाद प्याउ के पास ही पौने दो बीघा जमीन पर 16 जुलाई 2016 पौधारोपण किया गया तथा वृहद रूप में इसमें पीपल, नीम, चंपा, चमेली, गुलाब, बिल पत्र, तुलसी, पाम, गुलमोहर सहित अन्य पौधे रौपे गए। यह क्षेत्र वीरान था और उस समय अहाते के नाम से जाना जाता था जहां आवारा लोग बैठकर शराबखोरी किया करते थे लेकिन अब सिंहस्थ के बाद रौपे गए पौधे पेड़ बन गए हैं और फल और फूल के साथ ताजी हवा दे रहे हैं। स्थिति यह है कि लोग अपने परिवार के साथ दाल बाटी का लुत्फ भी यहां उठाते हैं। सैकड़ों यात्री प्रतिदिन यहां लगी प्याउ पर पानी पीते हैं और इनकी छांव में विश्राम करते हैं। पक्षियों के लिए इन्हीं पेड़ों पर पात्र रखे हैं। 

मान पूरी होने पर पौधा रौंपने तथा उसकी सुरक्षा का संकल्प
पदमसिंह पटेल के अनुसार परिवार में भी हम कोई मान करते हैं तो पौधा लगाने की मान करते हैं। मन्नत पूरी होने पर पौधा लगाते हैं। दूसरों को पेड़ लगाने की मान करने की सलाह देते हैं साथ ही संकल्प कराते हैं कि यदि 3-4 साल तक उसकी सुरक्षा करें, पानी दें तो ही मान करें। अब तक कई लोगों ने मन्नत पूरी होने पर बड़, पीपल नीम आदि के पौधे लगाए हैं जो यहां बड़े हो रहे हैं। 

तुलसी और नीम के पौधों का करते हैं निःशुल्क वितरण
पदमसिंह पटेल के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लोग पौधा रौंपते हैं लेकिन उनकी सुरक्षा और पानी की व्यवस्था नहीं करते तो जिसके कारण उनके पौधे रौंपने का औचित्य नहीं रह जाता। दो वर्षों में यहां इतने पौधे और पेड़ हो गए हैं कि अब यहीं से तुलसी और नीम के पौधे निःशुल्क दिये जाते हैं। 

प्रतिदिन करते हैं पेड़, पौधों की सेवा
सिंहस्थ 2016 की यादों को जीवंत रखने और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से पदमसिंह पटेल ने यहां पौधे रौंपे थे। वे दो साल से यहां प्रतिदिन सुबह-शाम आते हैं और पौधों को पानी देने, सफाई करने जैसे कार्य करते हैं यही कारण रहा कि सैकड़ों पौधे अब पेड़ बन गये हैं। 

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