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गुरूकुल शिक्षा पद्धति को सार्थक बनाए जाने के प्रयास किए जाएंगे – प्रकाश जावेडकर


Ujjain @ शिक्षा को और सार्थक बनाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। गुरूकुलों एवं आधुनिक शिक्षा के बीच समन्वय करने के प्रयास किये जायेंगे। वर्तमान में गुरूकुल शिक्षा पद्धति का प्रचार-प्रसार करने के लिये अच्छा कार्य हो रहा है। इस शाखा को शिक्षा पद्धति में उचित स्थान दिया जायेगा। यह बात  केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कही। वे उज्जैन के सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान में आयोजित तीन दिवसीय विराट अन्तर्राष्ट्रीय गुरूकुल सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमारे संगीत व शिल्पकला में गुरू-शिष्य परम्परा का प्रचलन हमेशा से रहा है। वर्तमान में शिक्षा के अधिकार अधिनियम में जो कानून बनाया गया है, उसमें यह इनपुट बेस्ड है, इसे बदलना चाहिये। शिक्षा क्या है, यह अच्छे इंसान की निर्मिति है। शिक्षा पद्धति में वेल्यू एडिशन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

       मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा कि वेदों, उपनिषदों का अध्ययन करना विज्ञान की प्रगति के लिये आवश्यक है। शिक्षा का एक उद्देश्य जीविका है, लेकिन शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य जीविका नहीं जीवन है। समग्र शिक्षा में आजीविका के साथ-साथ जीवन की शिक्षा दी जानी चाहिये। शिक्षा की गुरूकुल पद्धति शिक्षा की आत्मा है। शिक्षा के इस प्रयोजन का प्रचार-प्रसार करना चाहिये। इस बात पर भी समग्र विचार होना चाहिये कि आज के सन्दर्भ में गुरूकुल शिक्षा कैसी हो।

       मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गुरूकुल शिक्षा पद्धति पर चिन्तन-मनन कर आज एक नये अध्याय का प्रारम्भ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य ने कहा है कि जो मुक्ति दिलाये, वहीं शिक्षा है। विवेकानन्द ने कहा है कि शिक्षा वही है, जो मनुष्य का इंसान बनाये। शिक्षा ज्ञान, कौशल एवं संस्कार प्रदान करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भी कई भारतीयों ने मैकाले का काम करते हुए आधा-अधूरा ज्ञान दिया।

       मानव संसाधन राज्य मंत्री श्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि हमारे देश में भगवान राम और कृष्ण के आदर्शों का सम्मान होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य क्या है, क्या वर्तमान शिक्षा पद्धति सर्वांगीण विकास कर सकती है, इस पर विचार-मंथन आवश्यक है।

       इसके पहले अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर समारोह का शुभारंभ किया गया। मंच पर मोहन भागवत के अलावा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, थावरचंद गेहलोत, सत्यपालसिंह, सांसद सत्यनारायण जटिया, चिंतामणि मालवीय, मंत्री पारस जैन, सुरेन्द्र पटवा सहित पूज्यनीय स्वामी गोविंददेव गिरी, स्वामी राजकुमार दास, स्वामी संवित सोमगिरी मौजूद रहे।

        जिसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। अतिथियों ने कनकश्रृंगार शीर्षक से स्मारिका का प्रकाशन किया गया। इसमें गुरूकुल शिक्षण प्रणाली के बारे में आलेखों का संग्रह किया गया है। विमोचन सुश्री स्मिता भवालकर एवं प्रेरणा दीदी द्वारा करवाया गया। इसी तरह 14 विद्या एवं 64 कलाओं पर आधारित सर्वांग पुस्तिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में कु.योगिनी तांबे ने गुरूकुल पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अन्त में आभार सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री सच्चिदानन्द जोशी द्वारा प्रकट किया गया।     वहीं अतिथियों ने सांदीपनि की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर विश्व रूपम प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।

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