सोम यज्ञ - षोडशी यज्ञ की पूर्णाहुति हुई
उज्जैन । सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान में अंतर्राष्ट्रीय विराट गुरूकुल सम्मेलन के पहले दिन प्रात: विगत दिवस से चल रहे सोम यज्ञ - षोडशी यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। वेद विद्या प्रतिष्ठान के ऋत्विकों द्वारा विधि-विधान से तीन इष्टियों (यज्ञ) का आयोजन किया गया। वेद विद्या प्रतिष्ठान के ये ऋत्विक जिन्हें अहिताग्नि कहा जाता है, के द्वारा श्रोतया वेदों में जिनका वर्णन है, का साक्षात वर्णन किया गया है, उन नियमों को स्वीकार करते हुए अनुष्ठान किया गया।
सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. रवीन्द्र मुले ने बताया कि वेद विद्या प्रतिष्ठान में विराट गुरुकुल सम्मेलन के अवसर पर तीन इष्टियों (यज्ञ) का आयोजन किया गया। इसमें प्रथम संज्ञानेष्टि है। संज्ञानेष्टि यज्ञ से आपस में बैर-भावना समाप्त करके एकमत होकर काम करने की प्रेरणा मिलती है। यह इष्टि देव-असुर संग्राम में देवों की जीत के बाद देवों में पनपे अहंकार को दूर करने के लिए इन्द्र द्वारा बताई गई थी। इससे सभी देव अहंकार छोड़कर एकमत हुए थे। इसके बाद द्वितीय इष्टि, सर्वप्रष्ठेष्टि यज्ञ का आयोजन किया गया। यह यज्ञ दिग्विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है। किये जाने वाले काम में यशस्विता मिले इसके लिए 10 देवताओं का एक स्थान पर आव्हान कर हवन किया जाता है। अंतिम इष्टि के रुप में आज अंतिम दिन सांग्रहिणी इष्टि का आयोजन किया गया। इस यज्ञ में संग्रह के रुप में सब लोग एक साथ मिलकर काम करें, मतभेदों को दूर करें, इसका आव्हान किया गया। आज पूर्णाहुति दी गई।
सांदीपनि देव विद्या प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. रवीन्द्र मुले ने बताया कि विराट गुरुकुल सम्मेलन में वेदों की जितनी भी शाखाएं हैं, उनके वेदपाठी सम्पूर्ण भारत से यहां आएं हैं। ये वेदपाठी विलुप्लप्राय वेदों की शाखा जैसे कि सांख्यायन (ऋगदेव) आदि का अध्ययन करते हैं। सम्पूण भारत में 10 हजार विद्यार्थियों द्वारा वेदों का अध्ययन किया जा रहा है।