ग्राम ढेंडिया में पंचायतीराज दिवस मनाया गया, ग्राम सभा आयोजित की गई
उज्जैन । सांसद प्रो.चिन्तामणि मालवीय, विधायक डॉ.मोहन यादव, प्रभारी कलेक्टर श्री बसन्त कुर्रे की उपस्थिति में ग्राम पंचायत ढेंडिया में राष्ट्रीय पंचायतराज दिवस मनाया गया। इस अवसर पर प्रदेश के मण्डला में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उद्बोधन का सीधा प्रसारण भी सुना गया। ग्राम सभा में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री क्षितिज शर्मा, जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री बीएस मण्डलोई, ढेंडिया की सरपंच श्रीमती सावित्री पोरवाल आदि उपस्थित थे।
सांसद प्रो.मालवीय ने कहा कि भारत में 24 अप्रैल 1993 को पंचायतराज अधिनियम लागू किया गया था। इसके अन्तर्गत ग्रामों में त्रि-स्तरीय ढांचे (ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत तथा जिला पंचायत) की स्थापना की गई थी। ग्राम स्तर पर ग्राम सभा भी इसी अधिनियम के लागू होने के बाद से आयोजित की जाती हैं। पंचायतराज दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा कि पंचायती राज प्रणाली देश को सुदृढ़ व समृद्ध बनाने हेतु अत्यंत आवश्यक है। जब तक देश में पंचायतीराज प्रणाली को सक्षम नहीं बनाया जाता है, तब तक देश के असंख्य निर्धन परिवारों तक विकास का वास्तविक लाभ नहीं पहुँचाया जा सकता है। पंचायतीराज व्यवस्था के माध्यम से ही राष्ट्र में व्याप्त आर्थिक असमानता को दूर किया जा सकता है एवं तभी हम अपनी सामाजिक न्याय की अवधारणा को साकार रूप दे सकते हैं।
विधायक डॉ.मोहन यादव ने कहा कि असंगठित श्रमिकों का पंजीयन कर शासन अन्तिम पंक्ति के व्यक्ति के विकास की अवधारणा को साकार कर रहा है। उन्होंने श्रमिकों से आव्हान किया कि वे पंजीयन कराकर शासन की योजनाओं का लाभ प्राप्त करें। श्रमिकों के विकास के लिये कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना आदि का जिक्र करते हुए इन योजनाओं का भी लाभ लेने की आमजन से अपील की है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना में आवेदक को हर वर्ष केवल 12 रूपये का प्रीमियम देना होता है। दुर्घटना के समय होने वाले शारीरिक नुकसान या मृत्यु की स्थिति में 2 लाख रूपये तक का मुआवजा प्रदान किया जाता है।
प्रभारी कलेक्टर श्री बसन्त कुर्रे ने पंचायतराज दिवस के सम्बन्ध में कहा कि यदि हम अतीत पर अपनी दृष्टि डालें तो हम पाते हैं कि पंचायती राज प्रणाली हमारी सांस्कृतिक विरासत का ही एक अंग है। भारत में तीन चौथाई जनता ग्रामों में निवास करती है। इन आँकड़ों के माध्यम से सरकार ने माना कि निर्धनता को दूर करने तथा देश में चहुँमुखी विकास के लिए पंचायतीराज प्रणाली देश की एक आवश्यकता है। इसके फलस्वरूप 24 अप्रैल 1993 को 73वाँ संविधान संशोधन विधेयक लागू हुआ जो पंचायती राज के आधुनिक इतिहास में अविस्मरणीय है। इस कानून के अंतर्गत अधिक जनसंख्या वाले ग्रामों में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली लागू की गई। इसके तहत ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त पाँच वर्ष बाद पंचायतों का चुनाव, अनुसूचित जातियों, जनजातियों व महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण तथा प्रत्येक राज्य में राज्य वित्त आयोग का गठन आदि व्यवस्थाएँ इस कानून के अंतर्गत की गई हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ग्राम सभाओं के माध्यम से ग्रामीणजनों तक पहुंचाई जा रही हैं। वे इन योजनाओं का आगे आकर लाभ उठायें।