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प्रशिक्षण के बाद रोजगार न मिले तो प्रशिक्षण का क्या औचित्य?



कौशल विकास योजनाओं की संभागीय समीक्षा बैठक में संभागायुक्त ने कहा
उज्जैन। शासन की कौशल विकास योजना के अन्तर्गत कौशल विकास केन्द्रों
आईटीआई आदि में बेरोजगार युवक-युवतियों को विभिन्न ट्रेड, व्यवसायों में प्रशिक्षण दिया जाता है।
इस पर प्रति व्यक्ति सरकार का प्रतिमाह 15 से 20 हजार रूपये खर्च होता है, परन्तु युवक-युवतियों
को रोजगार प्राप्त न हो तो क्या फायदा? शासन की मंशा के अनुरूप प्रशिक्षण उपरान्त युवक-युवतियों
को समुचित रोजगार प्राप्त हो, परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है। दो वर्ष के कोर्स के बाद भी 10 से 15
हजार रूपये माह का रोजगार मिलता है, तो 3, 6 माह के कोर्स के बाद रोजगार की अत्यन्त कम
संभावना होती है। ऐसे ट्रेड, व्यवसाय में प्रशिक्षण दें, जिनमें रोजगार के अधिक अवसर हों।
संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने आज सोमवार को बृहस्पति भवन में कौशल विकास योजनाओं
की संभागीय समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए। समीक्षा बैठक में संयुक्त आयुक्त विकास श्री प्रतीक
सोनवलकर, संभागीय कौशल विकास अधिकारी, संभाग के सभी जिलों के कौशल विकास केन्द्रों के
अधिकारी, आईटीआई के प्राचार्य आदि उपस्थित थे।

टर्नर, फिटर, मोटर मैकेनिक में अधिक रोजगार
कौशल विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि 2 वर्ष की अवधि के टर्नर, फिटर, मोटर
मैकेनिक, मशीनिस्ट आदि कोर्सेस में रोजगार की अधिक संभावना है। इसके अलावा कम्प्यूटर ऑपरेटर
एवं स्टैनोग्राफर कोर्सेस में भी अच्छा रोजगार है।

आपके 1 लाख पक्के, उनको दस हजार भी नहीं मिलते
संभागायुक्त ने अधिकारियों से कहा कि आप तो सरकारी नौकरी में हैं, आपके तो प्रतिमाह 1
लाख पक्के हैं, परन्तु ये भी देखें कि जिन्हें आप प्रशिक्षण दे रहे हैं, उन्हें 10 हजार रूपये प्रतिमाह का
रोजगार भी नहीं मिल रहा। जिस कोर्स की डिमाण्ड है, उन्हें चालू करें।
बाजार का अध्ययन करें

संभागायुक्त ने कहा कि कौशल प्रशिक्षण से पहले बाजार का अध्ययन करें कि कहां कितनी
डिमाण्ड है, फिर उन्हीं कोर्सेस का प्रशिक्षण दें। कृषि, उद्यानिकी आदि क्षेत्रों में रोजगार के अच्छे
अवसर हैं। मार्केटिंग क्षेत्र में अच्छा रोजगार है। जेसीबी ड्रायवर की अधिक डिमाण्ड है।

फोटो तो छप गया, रोजगार मिला कि नहीं
बैठक में बताया गया कि रतलाम जिले में महिला आईटीआई की 3 छात्राओं ने अलग-अलग
ट्रेड के प्रशिक्षण में प्रदेश में पहला स्थान पाया है। इनकी खबर व फोटो पेपर में छपा है। इस पर
संभागायुक्त ने पूछा कि छात्राओं के फोटो तो छप गए पर रोजगार मिला कि नहीं? कौशल विकास
केन्द्रों, आईटीआई के द्वारा केवल प्रशिक्षण देना ही पर्याप्त नहीं है, रोजगार के लिए फॉलोअप भी
किया जाना चाहिए।

रोजगार मेला क्यों नहीं किया?
संभागायुक्त ने रोजगार कार्यालय द्वारा शासन की मंशा अनुसार रोजगार मेले आयोजित न
किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अब रोजगार कार्यालय में बेरोजगारों का पंजीयन
ऑनलाइन हो गया है, वहां ऐसा क्या काम है कि रोजगार मेले भी नहीं कराए जा सकते। समय-समय
पर रोजगार मेले आयोजित कर शिक्षित युवक-युवतियों को रोजगार दिलवाएं।

जीपीएस से लोकेशन लूंगा, मुख्यालय पर नहीं मिले तो निलम्बित करूंगा
संभागायुक्त ने कहा कि कई स्थानों पर कौशल विकास केन्द्रों, आईटीआई के अधिकारी-कर्मचारी
मुख्यालय पर नहीं रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब मोबाइल के माध्यम से जीपीएस प्रणाली से तुरन्त
लोकेशन मिल जाती है। &quot;मैं जीपीएस से लोकेशन लूंगा और मुख्यालय पर नहीं पाए गए तो निलम्बित
करूंगा।

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