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मोबाईल एप्लीकेशन से पता लगाए पंचक्रोशी यात्रियों में बीमारी के लक्षण



यात्रियों में मिली बदन दर्द, बुखार, पैरों में छाले, चोट, पेटदर्द, शरीर पर लाल चकते, उल्टी, निर्जलीकरण, लू आदि समस्याएं 
उज्जैन। पंचक्रोशी यात्रा में पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी संक्रामक बीमारियों के लक्षणों का पता लगाने के लिए मोबाईल एप्लीकेशन का उपयोग किया गया। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण विभाग के साथ 20 नर्सिंग स्टाफ की टीम ने प्रतिदिन 800 से 1 हजार पंचक्रोशी यात्रियों का साक्षात्कार कर उनके शरीर में विकसित हो रहे संक्रामक रोगों के विभिन्न लक्षणों का पता लगाया। यह कार्यक्रम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपीडेमीओलॉजी (आईसीएमआर) के तकनीकी सहयोग से चल रहा है जिसमें अब तक 5 हजार लोगों से जानकारी एकत्रित की जा चुकी है। 
टीम लीडर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. विशाल दीवान के अनुसार तीर्थ यात्रियों से पंचक्रोशी मार्ग तथा पड़ाव स्थानों पर यात्रियों की स्वास्थ्य समस्याओं (रोगों के लक्षण सिंड्रोम) की जानकारी एकत्रित करने के लिए टेबलेट आधारित एपलीकेशन तैयार किया गया है। साक्षात्कार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यात्रियों को बदन दर्द, बुखार, पैरों में छाले, चोट, पेटदर्द, शरीर पर लाल चकते, उल्टी, निर्जलीकरण, लू आदि समस्याएं हैं। यह रिपोर्ट प्रतिदिन जिला अस्पताल से साझा की जा रही हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यात्रा में शामिल यात्रियों में 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी है। यात्रा में लगभग 60 प्रतिशत यात्री उज्जैन से बाहर से आए हैं। यात्रियों से यात्रा में संबंधित व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली गई है जिसमें साफ-सफाई, भोजन, स्वास्थ्य सुविधा, यातायात तथा रोशनी से संबंधित प्रश्न पूछे गए हैं। यह आंकड़े भविष्य में होने वाले जनसमूह के दौरान संक्रामक बीमारियों एवं लक्षणों का पूर्वानुमान लगाकर योजना बनाने में सहायक सिध्द होंगे। टीम लीडर डॉ. विशाल दीवान का मत है कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में होने वाले जनसमूहों में नियमित रूप से होने चाहिये जिससे संक्रामक रोगों के लक्षणों पर अंकुश लगाया जा सके। फील्ड पर टीम का नेतृत्व डॉ. विवेक पाराशर, प्रियंक सोनी तथा अंकित गर्ग द्वारा किया गया। 

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