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पंचक्रोशी यात्रा में मिलती है ग्रामीण भारत की झलक, हर पड़ाव पर लगे छोटे-छोटे मेले


 

पंचक्रोशी यात्रा का आंखों देखा हाल

      उज्जैन । पंचक्रोशी यात्रा आस्था और सौहार्द्र का अनूठा समागम है। इस यात्रा में आसपास के क्षेत्रों से अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों का एक जगह, एक ही उद्देश्य से मिलना भी अपने आप में एक अनूठी घटना है। इसमें कृषि मजदूर वर्ग से लेकर सम्पन्न शहरी नागरिक भी पुण्यलाभ प्राप्त करने के लिये एकसाथ मिलकर पैदल चलते दिखाई पड़ते हैं। घर के आरामदायक वातावरण को छोड़कर चिलचिलाती धूप में यूं ही कोई नहीं निकलता। निश्चित ही इस कठिन यात्रा के लिये आस्था उन्हें खींचकर लाती है।  भाग-दौड़भरी आज की जीवनचर्या में पंचक्रोशी यात्रा लोगों को आपस में जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम बनी है। ऐसे भव्य आयोजन प्राय: कम ही देखे जाते हैं।

सेव-परमल से साग-पूड़ी तक

      कृषि कार्य से जुड़े तराना निवासी कुछ महिला-पुरूष पिछले 25 सालों से पंचक्रोशी यात्रियों की सेवा करते आ रहे हैं। गोविन्द बताते हैं वे सालों पहले यात्रियों को नाश्ते के रूप में सेव-परमल वितरित करते थे। आज वे यात्रा के दौरान लगभग 25 हजार लोगों को नि:शुल्क भोजन कराते हैं। उल्लेखनीय है कि इन सभी में कोई भी रसोईया नहीं है, वे सब सेवाभाव के चलते भोजन बनाने में पारंगत हो गये हैं। जहां तक पूड़ी बेलने का सवाल है, यात्रा कर रही कुछ महिलाएं स्वेच्छा से इस कार्य में हाथ बंटा देती हैं। हर कोई एक-दूसरे की सेवा करने को तत्पर दिखाई पड़ता है। जैथल पड़ाव पर गोविन्द व उनके साथियों द्वारा लगभग 5 हजार श्रद्धालुओं को साग-पूड़ी खिलाई गई।

बच्चे व महिलाओं के लिये मेले का आकर्षण भी

      पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के लगभग हर पड़ाव पर छोटे-छोटे मेले यात्रा कर रहे बच्चे व महिलाओं के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं। विश्राम के दौरान महिलाएं जहां अपने श्रृंगार की वस्तुएं इन मेलों में खरीदती हैं, वहीं बच्चों को यहां उपलब्ध खिलौने भी खूब आकर्षित करते हैं।

      राजगढ़ के मालचलपुर से आई 65 वर्षीय शकुंतलाबाई पिछले 3 साल से पंचक्रोशी यात्रा में शामिल हो रही हैं। उन्होंने बताया कि वे मन की शान्ति के लिये यह यात्रा करती हैं। माचलपुर से ही आईं 63 वर्षीय कमलाबाई पिछले 2 वर्षों से इस यात्रा में शामिल हो रही हैं। इनका मानना है कि पिछले सालों से इस बार की व्यवस्था सबसे अच्छी है। बड़ी पोलाय गांव की रेशमबाई 70 वर्ष की उम्र में भी बड़े उत्साह से पंचक्रोशी यात्रा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं से उनकी यात्रा थोड़ी आसान हो गई है।

प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं यात्रियों को दे रही राहत

पंचक्रोशी यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ावों, उपपड़ावों पर यात्रियों के लिये टेन्ट, प्रकाश व्यवस्था, शामियाने, भोजन के लिये विभिन्न सामग्री, पेयजल, सफाई, दूध, चिकित्सा, एम्बुलेंस, अग्निशमन व्यवस्था, शौचालय, फव्वारे इत्यादि व्यवस्थाएं राहत देने का काम कर रही हैं।

चिकित्सा विभाग द्वारा प्रत्येक पड़ाव पर अस्थाई अस्पताल, दवाईयों के साथ-साथ पैरों में लगाने के लिये मलहम की व्यवस्था की गई है। ये व्यवस्थाएं जिला प्रशासन के निर्देश पर जिला पंचायत एवं विभिन्न सम्बन्धित विभागों द्वारा की गई हैं।

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