"बाबूजी भण्डारा है भोजन कर लीजिए" पंचक्रोशी यात्रा में दिखी आतिथ्य सत्कार की मिसाल
उज्जैन । सामान्य रूप से मार्ग पर पुलिस के स्टॉपर वाहनों को रोकने के लिए लगाए जाते हैं, परन्तु पंचक्रोशी यात्रा के अंबोदिया पड़ाव के पास इनका दूसरा ही सदुपयोग नजर आया। यहां गांव के स्वयंसेवक स्टॉपर लगाकर खड़े थे तथा मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति से हाथ जोड़कर कह रहे थे "बाबूजी भण्डारा है, भोजन कर लीजिए।" भोजन के इस प्रेमपूर्वक किए गए आग्रह को शायद ही कोई व्यक्ति ठुकरा पाए और इसीलिए इस पड़ाव पर अधिकांश तीर्थयात्री भोजन कर रहे थे।
भोजन भी ताजा और स्वादिष्ट
गांव के स्वयंसेवक पंचक्रोशी तीर्थयात्रियों को गरमा-गरम पुड़ी और सब्जी खिला रहे थे। 25 व्यक्तियों की टीम जहां भोजन बनाने में लगी थी, वहीं 20-25 स्वयंसेवक भोजन परोसने आदि में संलग्न थे।
हर घर से योगदान
ग्राम के युवक ओमप्रकाश पांचाल बताते हैं कि गांव में लगभग 500 घर हैं तथा कोई घर ऐसा नहीं है जिसने इस पंचक्रोशी यात्रियों के लिए भण्डारे में अपना योगदान न दिया हो। किसी ने तेल दिया, तो किसी ने आटा, किसी ने मसाले दिए तो किसी ने सब्जी। सरपंच श्री गोवर्धन सिंह सहित गांव के व्यक्ति घनश्यामसिंह, अर्जुनसिंह डोडिया, नरेन्द्रसिंह सोलंकी, विक्रमसिंह, प्रेमसिंह ठाकुर, अशोक कुशवाह, निहाल सिंह, जसवंत, मलखानसिंह, रामसिंह, मनीष पांचाल, नाथूसिंह आदि सभी इस पुण्य कार्य में लगे हैं। आतिथ्य सत्कार, भाईचारे, सदभावना की ऐसी मिसाल पंचक्रोशी जैसी दिव्य और पावन यात्रा में ही मिल सकती है।
25 हजार लोगों का खाना
अंबोदिया ग्राम के रसोइये श्री कचरूलाल बताते हैं कि 11 अप्रैल से अभी तक लगभग 15 हजार तीर्थयात्रियों के लिए भोजन तैयार किया गया है। अनुमान है कि 13 अप्रैल तक लगभग 25 हजार व्यक्तियों का भोजन बनाएंगे। इसके बाद तीर्थयात्री आगे के पड़ाव पर निकल जाते हैं।
माइकल, पवन, अक्षत पिला रहे हैं ठण्डा दूध
अंबोदिया गांव में ही वहां के बच्चे माइकल (कक्षा 9वीं), पवन (कक्षा 8वीं) एवं अक्षत आदि बड़े प्रेमभाव से आने-जाने वाले यात्रियों को आग्रहपूर्वक सुगंधित ठण्डा दूध पिला रहे हैं। अंबोदिया ग्रामवासी बताते हैं कि वे पंचक्रोशी यात्रा के दौरान गांव में होने वाले दूध को बेचते नहीं हैं, बल्कि पंचक्रोशी यात्रियों के सत्कार में ही लगाते हैं। इसके जैसा दूसरा पुण्य कार्य हो नहीं सकता।