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पेड़ों की छाया में सुस्ता रहे हैं पंचक्रोशी यात्री वृक्षारोपण से यात्रा सुगम हुई


 

      उज्जैन। गर्मी के मौसम में हजारों यात्री 118 किलो मीटर लम्बी पंचक्रोशी यात्रा पर निकल पड़े हैं। श्रद्धालु तो भगवान भोले की आराधना में लीन होकर कष्ट की परवाह नहीं करते हैं, किन्तु यदि कहीं थोड़ी बहुत छांव दिखी तो वे वहां रूककर दो घूंट ठण्डा पानी पीकर सुस्ताने लगते हैं।

      वर्ष 2004 में पंचक्रोशी मार्ग को हराभरा करने के अभियान को हाथ में लिया गया। इस योजना से नगर के कई लोग जुड़े और उन्होंने तन-मन-धन से सहयोग किया। जनभागीदारी से एकत्रित राशि में उतनी ही राशि जिला प्रशासन ने मिलाकर वन विभाग को पौधारोपण करने और इनकी सुरक्षा करने का जिम्मा सौंपा। सेंटपाल स्कूल, पिंगलेश्वर से करोहन के बीच में वर्ष 2005-06 में पौधारोपण कार्य किया गया।

      एक अच्छा विचार मूर्तरूप लेने लगा और देखते ही देखते पौधे बड़े होने लगे। इसके बाद के वर्षों में पंचक्रोशी मार्ग पर पौधारोपण का काम हुआ, किन्तु सिंहस्थ-2016 में सम्पूर्ण मार्ग पर पौधारोपण कार्यक्रम चलाकर 50 हजार से अधिक पौधों का रोपण मार्ग के दोनों ओर कर दिया गया।

      वर्ष 2018 की पंचक्रोशी यात्रा के दौरान स्थान-स्थान पर देखने को मिल रहा है कि कई जगह वर्ष 2004-05 के रोपे गये पौधे छायादार वृक्ष बन गये हैं। इन वृक्षों की छांव में यात्रियों को विश्राम करते देखना एक सुखद अनुभव है। जो यात्री वर्षों से पंचक्रोशी यात्रा कर रहे हैं, उनसे पूछने पर वे कहते हैं “सब सरकार की महिमा है साब, पक्की सड़क और कदम-कदम पर छाया, पंचक्रोशी मार्ग की क्या बात है।”

      पौधारोपण के अभियान में से सर्वाधिक सफल अभियान पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के पौधारोपण को कहा जा सकता है। वन विभाग इस पौधारोपण में 90 प्रतिशत से ज्यादा पौधों को जीवित रख पाया है।

      पंचक्रोशी यात्री जिन्हें कभी भी किसी सुविधा की दरकार नहीं होती है, उनके लिये पौधों से नये-नये वृक्ष बने नीम, पीपल, बड़ मानो बांहें पसार स्वागत के लिये तैयार खड़े दिखाई पड़ रहे हैं।

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