संभागायुक्त ने सीएम हेल्पलाइन के प्रकरण प्राथमिकता से निपटारा करने के निर्देश दिये
उज्जैन । संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने आज समय-सीमा के पत्रों की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने संभाग के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाये। एल-4 पर लम्बित शिकायतों के निराकरण के लिये विभागाध्यक्षों को संभागायुक्त की ओर से पत्र लिखने के निर्देश भी श्री ओझा ने दिये हैं। बैठक में संयुक्त आयुक्त श्री प्रतीक सोनवलकर एवं सभी संभागीय अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में श्रम विभाग द्वारा श्रमिक पंजीयन की कार्यवाही पर पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन दिया गया तथा जानकारी दी गई कि उज्जैन संभाग के पांच जिले प्रदेश में टॉप-10 में शामिल हैं। प्रदेश में पहले स्थान पर मंदसौर जिला आया है। पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन में बताया गया कि असंगठित श्रमिकों की श्रेणी में कौन आते हैं तथा श्रमिकों को किस तरह का लाभ दिया जायेगा। पंजीकृत श्रमिकों को 200 रूपये फ्लेटरेट पर बिजली, पंजीकृत गर्भवती श्रमिक महिलाओं को पोषण आहार के लिये चार हजार रूपये, प्रसव होने पर महिला के खाते में साढ़े 12 हजार रूपये जमा होंगे। हर भूमिहीन श्रमिक को भूखण्ड उपलब्ध कराया जायेगा एवं दो लाख रूपये का सामान्य मृत्यु पर बीमा एवं चार लाख रूपये दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जायेगा। संभागायुक्त ने निर्देश दिये हैं कि संभाग के जो जिले पंजीयन कार्य में पिछड़ रहे हैं वे गंभीरता से काम करें एवं शत-प्रतिशत श्रमिकों का पंजीयन करें।
संभागायुक्त ने बैठक में बताया कि 16 अप्रैल को मुख्यमंत्री शाजापुर जिले के प्रवास पर आ रहे हैं। उन्होंने सभी संभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे 16 अप्रैल के पूर्व शाजापुर जिले का भ्रमण कर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। उन्होंने विशेषकर उपार्जन, वन अधिकार पट्टे, श्रमिकों को दी जाने वाली सुविधा, हैण्ड पम्प संधारण का कार्य एवं भावान्तर योजना के तहत की जाने वाली खरीदी की तैयारी सुनिश्चित करने को कहा है।
बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधीक्षण यंत्री ने बताया कि संभाग में कुल 47 हजार हैण्ड पम्प में से वर्तमान में भूजल स्तर गिरने के कारण 41 हजार हैण्ड पम्प चालू हैं। शाजापुर जिले में 85 प्रतिशत हैण्ड पम्प कार्यशील हैं। इस जिले में 78 प्रतिशत नल जल योजनाएं भी चालू हैं। खाद्य नियंत्रक ने बताया कि संभाग में कुल 856 ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें नहीं थी। इनमें से 276 में दुकानें खुल गई हैं, शेष स्थानों पर भी दुकानें खोलने की प्रक्रिया जारी है।