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रेज्डबेड पद्धति से साढ़े 4 क्विंटल प्रतिबीघा सोयाबीन पैदा किया


 

पशुपालन, उद्यानिकी से किसान ने खेती को लाभप्रद बनाया

उज्जैन । तराना जनपद के ग्राम सामटियाखेड़ी के कृषक रामप्रसाद (मो.नं.-9669749378) ने कृषि विभाग की सलाह पर रेज्डबेड पद्धति को अपनाया। इस विधि का उपयोग कर अच्छे जल निकासी की व्यवस्था की। कम बीज से अधिक उत्पादन प्राप्त करते हुए किसान ने वर्ष 2017-18 में साढ़े चार क्विंटल प्रतिबीघा सोयाबीन का उत्पादन किया, जबकि साधारण सीडड्रिल से बुवाई करने पर मात्र दो क्विंटल प्रतिबीघा सोयाबीन का उत्पादन होता है।

उल्लेखनीय है कि साधारण सीडड्रिल से बुवाई करने पर गलती (डूब में आने वाली) जमीन में पानी भरने से कृषक रामप्रसाद की फसल अक्सर नष्ट हो जाया करती थी और उत्पादन कम होता था। इस विधि से बीज भी अधिक लगता है और बीमारी लगने की संभावनाएं भी ज्यादा रहती थी। इस कारण महंगे कीटनाशकों का उपयोग करने के बाद भी उत्पादन कम होता था। रेज्डबेड प्लांटर से उनके खेतों में भरने वाले पानी की निकासी आसान हो गई। बीज कम भी लगा और पेस्टीसाइट की लागत भी नहीं के बराबर लगी। इस तरह उत्पादन बढ़ने के साथ-सािा लागत कम हुई और कृषक का मुनाफा बढ़ गया।

4.14 हेक्टेयर जमीन के मालिक श्री रामप्रसाद एक उन्नत कृषक हैं। वे हमेशा अपने खेतों में नये प्रयोग करने के लिये तत्पर रहते हैं। उन्होंने कृषि, उद्यानिकी विभाग की योजनाओं तथा आत्मा प्रोजेक्ट के तहत रेज्डबेड पद्धति आदि की जानकारी प्राप्त की और इसका लाभ लिया। कृषि विभाग की सलाह पर उनके द्वारा नलकूप योजना का लाभ भी लिया गया और सम्पूर्ण जमीन को सिंचित कर लिया। इसके बाद बायोगैस का निर्माण करवाया, जिससे कम लागत में अच्छा जैविक खाद उन्हें मिल रहा है और घरेलू ईंधन की समस्या भी समाप्त हो गई है। उद्यानिकी विभाग से वर्ष 2016 में उनके द्वारा ड्रिप पद्धति का प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाया गया, ड्रिप से सिंचाई का रकबा बढ़ गया। आत्मा परियोजना के तहत ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के मार्गदर्शन में तीन बीघा में सन्तरे का बगीचा लगाया और एक बीघा में अमरूद लगाये। इस फलोद्यान से उनको पिछले दो-तीन वर्ष से एक लाख रूपये से अधिक की आमदनी हो रही है। बगीचे में अन्तवर्ती फसल के रूप में वे सोयाबीन ले रहे हैं।

कृषक रामप्रसाद पशुपालन में भी पीछे नहीं हैं। उनके पास चार दुधारू भैंस, दो गाय व दो बकरी हैं। खेतों में काम करने के लिये उन्होंने दो बैल भी ले रखे हैं। रामप्रसाद को प्रतिदिन पांच लीटर दूध मिल रहा है। वे अपने घर में खाने के अलावा छह हजार रूपये प्रतिमाह का दूध बेच देते हैं। पशुपालन से छह ट्रॉली गोबर की खाद प्राप्त होती है। स्लरी एवं अन्य जैविक कृषि अपशिष्ट से खाद का निर्माण करते हैं और रासायनिक खाद का बिलकुल उपयोग नहीं करते हैं। रामप्रसाद तराना तहसील में उन्नत कृषक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। आसपास के कृषक उनसे सलाह लेने आते हैं। इस तरह एक सफल किसान ने अपने बूते पर कम जमीन में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।                     

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