हमारी चिंता महाकाल मंदिर के ज्योतिर्लिंग तक सीमित है -सुप्रीम कोर्ट
Ujjain @ उज्जैन के महाकाल मंदिर से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मंदिर में पूजा कैसे हो यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है। हमारी चिंता मंदिर के ज्योतिर्लिंग को लेकर है। जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की बेंच ने कहा है कि वह इस मसले पर विचार नहीं करेगी कि मंदिर में किस तरह से पूजा की जानी चाहिए या क्या विधि विधान होने चाहिए। इसका फैसला मंदिर प्रबंधन और संबंधित पक्षों को करना है। ज्योतिर्लिंग के संरक्षण को लेकर बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है। बेंच पूजा के कुछ विधि विधान से लिंग को हो रहे नुकसान के मामले में सुनवाई कर रही है।
महाकालेश्वर के शिवलिंग के क्षरण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उज्जैन की सारिका गुरु ने याचिका दायर की है। न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। पर मंदिर समिति के विधि विशेषज्ञों के अनुसार न्यायालय ने अभी न तो फैसला दिया है और न ही कोई निर्देश। माना जा रहा है कि क्षरण रोकने के लिए न्यायालय द्वारा विशेषज्ञों की समिति से कराई जांच के निष्कर्षों के आधार पर मंदिर समिति को सुझाव या निर्देश दिए जा सकते हैं। गौरतलब है कि मंदिर समिति भी न्यायालय में क्षरण रोकने के लिए किए उपायों का हलफनामा पहले पेश कर चुकी है। समिति यह दावा करती आई है कि उन उपायों को जारी रखा है। जिसमें आरओ वॉटर का उपयोग, पंचामृत पर नियंत्रण, केमिकल युक्त पूजन सामग्री पर रोक शामिल है। याचिकाकर्ता सारिका गुरु एवं मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक अवधेश शर्मा ने इतना ही कहा कि गुरुवार काे सुप्रीमकोर्ट में बहस होने की सूचना है। उनकी ओर से संबंधित अभिभाषक कोर्ट गए थे। उन्हें इससे ज्यादा जानकारी नहीं है।