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रैली निकालकर अशासकीय शाला प्रतिनिधि संगठन ने की फीस की प्रतिपूर्ति की मांग



उज्जैन। बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेशित कमजोर एवं वंचित वर्ग
के बच्चों के सत्र 2016-17 एवं 2017-18 की फीस प्रतिपूर्ति तत्काल करने
की मांग को लेकर अशासकीय शाला प्रतिनिधि संगठन द्वारा रैली निकालकर
कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा तथा कहा कि अगला सत्र 2018-19 प्रारंभ हो
चुका है, जिससे अशासकीय शालाओं को काफी अत्याधिक आर्थिक संकट झेलना पड़
रहा है। संगठन के द्वारा कई बार इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को अवगत
कराया जा चुका है किंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई।
संयोजक जितेन्द्र शिंदे के अनुसार संगठन के अध्यक्ष मनीष भारद्वाज, सचिव
जितेन्द्र निगम के नेतृत्व में इस फीस प्रतिपूर्ति के संबंध में संगठन
द्वारा एक विशाल वाहन रैली का प्रातः 9.30 बजे महाकाल मंदिर से प्रारंभ
होकर गुदरी चौराहा, गोपाल मंदिर, छत्री चौक, बड़ा सराफा, कंठाल, मालीपुरा,
देवासगेट, चामुंडा माता चौराहा, टॉवर चौक, तीन बत्ती चौराहा होते हुए
कोठी पहुंची। कलेक्टर के नाम सौंपे ज्ञापन में संगठन अध्यक्ष मनीष
भारद्वाज ने कहा कि शासन द्वारा प्रवेश के समय पालकों को दस्तावेजों में
दूट देकर प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करा ली जाती है लेकिन विद्यालयों को
भुगतान के समय अनेक नियम व कानून का पालन कराया जाता है, जो व्यवहारिक
रूप से विद्यालयों की जिम्मेदारी नहीं है। अनेक तकनीकी कारण ऐसे हैं
जिनकी शत प्रतिशत पूर्ति संभव नहीं है। प्रवेश के समय प्रचलित व्यवस्था
को ही भुगतान के समय आधार बनाकर शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाना व्यवहारिक
है, अतः आगामी सत्र में व्यवस्था को पूर्ण रूप से इस प्रकार तैयार किया
जाये कि भुगतान में किसी भी प्रकार की विसंगति न हो। जितेन्द्र शिंदे ने
बताया कि ज्ञापन में मांग की कि समग्र में त्रुटि सुधार की व्यवस्था आधार
में प्रचलित त्रुटि सुधार की व्यवस्था के अनुरूप की जाये ताकि शासन की
सही जानकारी अद्यतन की मंशा चरितार्थ हो सके। समग्र आईडी प्रवेश के समय
तथा बाद में दूसरी बनवा लिये जाने से मिस मेच की समस्या आ रही है। साथ ही
समग्रमें कई जानकारियां प्रिंट आउट में प्रदर्शित नहीं हो रही। आधार में
अपडेशन के बावजूद एज्युकेशन पोर्टल पर आधार नंबर किसी भी मोबाईल नंबर से
मेप्ड नहीं है। इस तरह से प्रक्रिया में अनेक विसंगतियां होने के कारण
प्रपोजल तैयार कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। राज्य शासन की ओर से कोई
उचित व्यवस्था नहीं दी गई है जिस कारण सारी परेशानियां अशासकीय शिक्षण
संस्थाओं पर आ गई है जिसमें प्रथम रूप से आर्थिक संकट है। अगर उक्त
स्थिति का निदान त्वरित रूप से वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से नहीं किया
गया तो न केवल शिक्षा प्रणाली को क्षति होगी बल्कि मूल आरटीई अधिनियम
2009 का भी उल्लंघन होगा। संगठन के मनीष भारद्वाज, विक्रमसिंह राठौर,
महेन्द्र पाटीदार, जितेन्द्र निगम, जितेन्द्र शिंदे, अमित मेहता, मनीष
रावल, महेश जायसवाल, राजेश द्विवेदी, दिनेश चौड़िया, अशफाक भाई, सुशील
पटेल, फराज सिद्दीकी, राकेश पांडे, राजेश तिवारी, दिनेश भट्ट, अजय ऐकल,
विनोद पाराशर, अख्सर भाई, प्रणय रामदिया, प्रवीण सनोठिया, प्रेमसिंह गौड़,
प्रदीपसिंह परिहार आदि ने ज्ञापन सौंपकर मांग की कि उपरोक्त समस्या का
निराकरण शीघ्रता शीघ्र किया जाये तथा जब तक उपरोक्त विसंगतियां दूर नहीं
हो जाती, तब तक पूर्व में प्रचलित व्यवस्था के माध्यम से फीस प्रतिपूर्ति
की जाये।

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