सरकार संतों को ही दर्जा न दे, पुजारियों का भी ध्यान रखे
उज्जैन। संत समाज हिंदू समाज का मार्गदर्शक माना जाता है लेकिन जब संत समाज ही मार्ग से भटक जाय तो हिंदु समाज कहां जाएगा। म.प्र. सरकार के लिए पुजारी और संत दो आंखों के समान है एवं एक दूसरे के पूरक होकर समाज का मार्गदर्शन करते हैं लेकिन पुजारियों के साथ हमेशा भेदभाव होता रहा है। म.प्र. सरकार या केन्द्र सरकार जब भी हिंदू समाज के मार्गदर्शकों केा मंत्र या अन्य सम्मान देती है तो पुजारी समुदाय की अनदेखी की जाती है। इस आशय का एक पत्र अभा पुजारी महासंघ के महामंत्री जसराज शर्मा ने मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को भेजा है। पत्र में पुजारियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहां की प्रदेश में चौदह हजार मंदिर है जिसके लगभग 20 हजार पुजारी है जो मंदिरों की सेवा पूजा एवं मार्गदर्शन करते हैं। उनके साथ समान व्यवहार करना चाहती है। साधु समाज ही हिंदू समाज का मार्गदर्शन नहीं करते हैं। जो संत हिंदू समाज के मार्गदर्शन की बात करते हुए सत्य, धर्म मार्ग को छोड़कर ऐसे सम्मान प्राप्त करते हैं जिससे हिंदू समाज एवं धर्मस्थलों का नुकसान होता है। ऐसे लोगों का हिंदू समाज को बहिष्कार करना चाहिये। भविष्य में पुजारियों के सम्मान का ध्यान रखते हुए शासन को कार्य करना चाहिये।