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पंचायत सचिवों की वेतन विसंगति को लेकर 17 अगस्त से भूख हड़ताल


उज्जैन। 24 जुलाई 2013 को म.प्र. शासन के केबिनेट के निर्णय में पंचायत सचिवों को नवीन वेतन मान देने का निर्णय पारित किया गया था। केबिनेट प्रेशी एवं निर्णय अनुसार 2013 की स्थिति में प्रदेश के पंचायत सचिवों का कुल सेवा की अवधि 17 वर्ष हो रही थी। मंत्री परिषद ने 17 पे-स्केल वित्त विभाग से अनुमोदित कराकर पंचायत सचिवों के लिए नवीन वेतनमान के आदेश जारी किये थे। 4 वर्षों में विभाग पंचायत सचिवों का वेतन निर्धारण नहीं करा पाया है। वेतन बढ़ाने के लिए विगत 2 वर्षों से आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवों को अपर मुख्य सचिव जुलानिया ने प्रतिषोध लेकर क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से 4 हजार रूपये तक वेतन कम करने के फरमान जारी किये हैं जिसका मैं खंडन करता हूं और इसके विरूध्द 17 अगस्त से भोपाल में भूख हड़ताल पर बैठूंगा। 

यह बात पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने देते हुए बताया कि पंचायत का अपर मुख्य सचिव पंचायत सचिवों को प्रताड़ित कर रहा है। मेरे पास केबिनेट की प्रेशी, केबिनेट का निर्णय और अपर मुख्य सचिव का आदेश सुरक्षित है जिसमें कहीं भी पंचायत सचिवों की सेवा काल की गणना 2013 के वेतन निर्धारण में 1 अप्रैल 2008 से मान कर गणना करने का उल्लेख नहीं है। जब केबिनेट अर्थात म.प्र. की सरकार और पंचायत विभाग ने पहले यह उल्लेख नहीं किया तो फिर अब अपने तुगलकी फरमानों से नीचे के अधिकारियों को डरा धमकाकर वेतन विसंगति के निर्धारण में सचिवों के सेवाकाल की गणना 1 अप्रैल 2008 से करने का क्या औचित्य है। जब पंचायत सचिव वर्ष 1995 से पदस्थ है तो 2008 क्यों और किस निर्णय के आधार पर उल्लेखित किया गया है। जुलानिया के निर्देश पर पंचायत आयुक्त ने 4 अगस्त 2017 को वेतन निर्धारण में सेवाकाल 1 अप्रैल 2008 दर्शाया है जिसकी प्रदेशभर में होली जलाई गई है। शर्मा ने कहा कि 17-18 अगस्त को इस फरमान के विरोध में भोपाल के अंबेडकर मैदान में मैं भूख हड़ताल पर बैठूंगा। सरकार से सचिव संगठन ने मांग की है कि जुलानिया को इस विभाग से हटा दो क्योंकि पंचायत राज व्यवस्था चैपट करने का इसका उद्देश्य पूरा हो चुका है। 

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