किसानों को खरपतवारनाशक दवाई का उपयोग न करने की सलाह
उज्जैन । कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि इस समय सोयाबीन की फसल फूल अवस्था में है, इसलिये वे किसी भी प्रकार के खरपतवारनाशक दवाई का उपयोग न करें। इससे हानि हो सकती है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी अधिकारी श्री आरपी शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में सोयाबीन की फसल में कहीं-कहीं चक्रभृंग कीट का प्रकोप देखा जा रहा है तथा सफेद लट व्हाइट ग्रब का प्रकोप भी कहीं-कहीं देखा जा रहा है। इसके नियंत्रण हेतु भी कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा सलाह दी गई है। उन्होंने बताया कि चक्र भृंग कीट का प्रकोप रोकने के लिये थायोक्लोप्रीड 217 एससी 650 एमएल या ट्रायजोफॉस एक लीटर अथवा प्रोफेनोफॉस एक लीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिये। इसी तरह सोयाबीन एवं मक्का फसल में सफेद लट व्हाइट ग्रब के नियंत्रण हेतु फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरॉन 3 जी का 8 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में मिलाकर उपयोग करने की सलाह दी गई है।
फूलगोभी में डायमण्ड बेकनाथ हीरक इल्ली या तार वाली इल्ली के प्रबंधन हेतु जैविक कीटनाशक बेवरिया बेसियाना 1250 मिली प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करने को कहा गया है। वर्तमान समय में मक्का की फसल में नाइट्रोजन की पूर्ति हेतु नीमकोटेड यूरिया 100 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर के मान से मक्का के तने के पास डालने की सलाह दी गई है।
मौसम की अनुकूलता को देखते हुए सोयाबीन की विभिन्न प्रकार की पत्तियां खाने वाली इल्लियां जैसे- हरी अर्द्धकुंडलक इल्ली, तंबाखू की इल्ली, चने की इल्ली आदि का प्रकोप होने की संभावना है। अत: इनके नियंत्रण हेतु क्लोरोइंट्रोनीलीकोर 100 एमएल या इंडोऑक्साकार्ब 500 एमएल प्रति हेक्टेयर या फ्लूबेंडियामाइड 3935 एससी 500 एमएल प्रति हेक्टेयर का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाये। सोयाबीन की फसल में पत्ती धब्बा तथा एंथ्रेनोज नामक बीमारी के प्रकोप की संभावना है। इसके प्रबंधन हेतु टेबूकोनाझोल+सल्फर 2 ग्राम प्रति लीटर या थायोफिनेट मिथाइल अथवा कार्बेंडाजिम एक ग्राम प्रतिलीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाये।