बलिवेदी पर कई शीश चढ़े, तब आई है आजाद
उज्जैन। बलिवेदी पर कई शीश चढ़े हैं तब कहीं जाकर आई है आजादी। 1857 की क्रांति से लेकर वर्षों तक क्रांतिकारियों ने संघर्ष किया तब कहीं जाकर हम आज आजादी की खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं।
यह बात क्रांतिकारी स्मरण समिति द्वारा महानंदानगर स्थित भारतीय ज्ञानपीठ स्कूल में आयोजित सुनो कहानी आजादी की व्याख्यानमाला के अंतर्गत समिति सदस्यों ने व्यक्त किये। संयोजक विक्रम चित्तौड़ा के अनुसार कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए अध्यक्ष अभय मराठे ने प्रथम राष्ट्रीय ध्वज के बारे में चर्चा की। मुख्य वक्ता के रूप में संस्था सचिव विजय अग्रवाल ने 1857 की क्रांति पर अपने विचार रखे। इसी क्रम में पार्षद माया त्रिवेदी ने महान क्रांतिकारी मेडम भीकाजी भामा के जीवन पर प्रकाश डाला। सहसंयोजक प्रीति गोयल ने व्यवारिक राष्ट्रवाद पर चर्चा की। प्रिंसिपल श्रध्दा तिवारी ने क्रांतिकारियों के जीवन पर प्रकाश डाला। छात्रसंघ अध्यक्ष अक्षिता आचार्य ने संस्था की गतिविधि पर प्रकाश डाला। संचालन शिक्षिका छाया उपाध्याय ने किया एवं आभार विक्रम चित्तौड़ा ने माना।