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बेकाबू भीड़ ने मचाया ऐसा तांडव, कुछ ही घण्‍टों में बदल गई गांव की तस्‍वीर



धार-मनावर। धार से करीब 30 किमी दूर पहाड़ियों में बस 1 हजार की आबादी वाला गांव बोरलाई...जो एक घटना के बाद देशभर में चर्चा का विषय बन गया...क्योंकि बुधवार इस गांव में बच्चा चोरी की अफवाह में एक युवक को भीड़ ने पीटपीटकर मार डाला था, लेकिन 16 घंटे बाद घटना के दूसरे दिन गुरुवार को जब नईदुनिया की टीम वहां पहुंची घंटों बाद भी इस गांव के लोगों की आंखों के सामने भीड़ का तांडव का दृश्य घूम रहा है।

गांव में सड़क के किनारे निर्माण कार्य में मजदूर लगे थे, कुछ दुकानों पर लोग काम कर रहे थे। कुछ महिलाएं घर के आगे बच्चों के साथ बैठी थी। स्कूल की छुट्टी हुई तो कंधों पर बस्ता टांगकर बच्चियां भी उसी मोड़ से निकली। जहां भीड़ ने तांडव कर एक युवक को मौत के घाट उतार दिया, जबकि कई को घायल कर दिया था।

सब कुछ सामान्य दिन की तरह था, लेकिन 16 घंटे के बाद गांव के लोगों में वह मंजर रह रह कर सामने आ रहा था। टीम ने गांव के लोगों से बात कि तो चौंकाने वाली बात सामने आई। सभी ने कहा गांव में कभी ऐसी घटना नहीं देखी। 80 साल की गांव की चौकीदार चंपाबाई कहती है कि जीवन में पहली बार ऐसी घटना देखी। गांव के नाते मैं भी बचाने गई तो मुझे दो बार धक्का देकर हटा दिया। कहा घटना में गांव के लोग नहीं थे। वाहनों के पीछे भीड़ पहुंची तो लोगों पर कहर बनकर टूटी और इतना बड़ा कांड हो गया। गांव वालों को अफसोस है, जिस गांव में पूरा जीवन गुजर गया। दूसरे लोगों की वजह से दाग लग गया। गांव वालों के अफसोस है कि मरने वालों को बचा नहीं सके। फिर कुछ गांव के लोगों ने प्रयास किया, लेकिन भीड़ को रोकना मुश्किल था।

चश्मदीद जो दो जिंदगी बचाने के लिए भिड़ी रही...

महिला बच्चों के संग भीड़ को रोकती रही...घर जलाने की मिलती रही धमकी
जहां वाहनों को रोककर भीड़ ने वाहनों से किसानों को निकालकर पीटना शुरू किया था। उसके सामने ही हमारा घर व दुकान है। दो युवक गणेश व रवि खुद बचाने के लिए दुकान में घुस गए और शटर और दरवाजा लगा दिया। दीवार की दूसरी तरफ हम कमरे में बंद थे। हमने पीछ से दरवाजा लगा लिया था। भीड़ ने दरवाजों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया। मैं व बच्चे भीड़ को रोक रहे थे। भीड़ ने चारों तरफ से घर को घेर लिया। सामने से दरवाजे को तोड़ने की कोशिश हुई। पीछे से कई लोग अंदर घुसने के लिए दरवाजे पर पत्थर फेंक रहे थे। मुझे बीपी की शिकायत पर पानी भी नहीं पी सकी। बाहर से लोग धमकी दे रहे थे कि दरवाजा खोल तो नहीं तुम्हे भी घासलेट डालकर जला देंगे। हम कहते रहे कि पुलिस आ जाएगी तो दरवाजा खोल देंगे। बाहर परिजनों को फोन भी किया। आखिरकार दो घंटे बाद भीड़ ने दरवाजा तोड़ तो दोनों युवक भागे। एक को तो भीड़ ने पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। जबकि दूसरा युवक घर से साइड से पीछे भागा। घर के पीछे लोगों ने उसे रोककर पीटना शुरू दिया। बाथरूम के पास मंगलसूत्र व अन्य सामान भी लूट ले गए।

हमसे हाथ जोड़कर कहा था-ब्राह्मण हूं अंदर आने दो
भीड़ का तांडव इतना ज्यादा था कि युवक जब बचने के लिए घर में घुसने लगे तो डर के मारे उन्होंने मना कर दिया। इस पर घायल ब्राह्मण घर में घुसने लगा तो घर के लोगों डर के मारे उन्हें जाने से रोक दिया। घायल ने कहा हि मैं ब्राह्मण हूं मंदिर जाता हूं। पूजा पाठ करता हूं। मुझे बचा लो अंदर आने दो। लेकिन भीड़ उस पर टूट पड़ी और पकड़ ले गए।

20 मिनट का रास्ता 2 घंटे में पुलिस आई....तीन पुलिसकर्मी कुछ नहीं कर सके
गांव के लोगों का आरोप है कि गांव दो घंटे तक भीड़ खूनी खेल खेलती रही, लेकिन पुलिस का ज्यादा बल नहीं पहुंचा। केवल 3 पुलिसकर्मी आए थे। भीड़ के आगे उनकी कुछ नहीं चली। ज्यादा बल समय पर आता तो किसी की जान नहीं जाती और इतनी बड़ी घटना नहीं होती।

चश्मदीद की जुबानी की कहानी....और कैसे होता रहा मौत का तांडव
कविता बोली....दो घंटे कमरे में बच्चों को कैद कर रखा
गांव की कविता ने बताया कि कभी जैसे घटना नहीं देखी। इतनी भीड़ देखकर बच्चे डर गए थे। पति भी मनावर गए थे। मैं दोनों को को घर में रखा और दरवाजा बंद कर दिया। खिड़की की जाली से घटना देखी रही।हम दो घंटे बाद कमरे से बाहर निकले। जब पुलिस पहुंची और आंसू गैस के गोले छोड़े।

80 साल की चौकीदार महिला बोली...मुझे धक्का देकर हटा लिया
चंपाबाई ने बताया कि मैं भोजन कर रही थी। अचानक वाहन आए तो बाहर आकर देखा। वाहन एक्सीडेंट कर आए होंगे। दौड़कर देखा वाहन से निकालकर लोगों को पीटा जा रहा था। मैंने बचाने का प्रयास किया मुझे धक्का देकर हटा दिया। कहा बुढ़िया तुम हटो। इसके गांव का ही एक संतोष भी छुड़ाने व बचाने गया तो उससे भी धक्का देकर हटा दिया। गांव वाले तो उसे बचाने का प्रयास कर रहे थे।

ये तीन कारण...इस जघन्य हत्याकांड की वजह बने

पहला कारण-बोरलाई में मोड़ पर अचानक बस आने से वाहन रुक गए
बुधवार सुबह करीब 10 बजे गांव में बस आने का समय होता है। जब भीड़ वाहनों से युवकों का पीछा कर रही थी तो गांव में 10 बजे अचानक मोड़ पर बस आ गई। उससे उनकी कार रुक गई। बस मुड़ रही थी। इतने में पीछे से भीड़ वाहनों से पहुंच गई और युवकों को निकालकर पीटना शुरू कर दिया। अगर बस सामने से नहीं आती तो शायद कार सवार निकल गए होते।

दूसरा कारण...फोन पर लोगों को मिलती रही बच्चा चोरी की अफवाह
गांव के कमल पिता मुन्ना ने बताया कि मैं खेत में काम कर रहा था। जूनापानी से उसके मामा ने फोन कर बताया था कि कुछ वाहन में लोग बच्चा चोरी कर लेकर जा रहे हैं। जूनापानी में उन्हें रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन वे आगे भाग गए हैं। इसके बाद खेत छोड़कर गांव बोरलाई पहुंचा तो भीड़ लोगों को पकड़कर पीट रही थी। इस प्रकार की अफवाह खिरकिया गांव से शुरू हुई, जो बोरलाई तक पहुंच गई। बीच में कई गांवों में इस प्रकार से लोगों को सूचना मिलती रही और लोगों ने बिन सोचे-समझे और तस्दीक के ही मौत का तांडव शुरू कर दिया।

सूचना पर सिर्फ तीन पुलिसकर्मी पहुंचे... भीड़ 500 से ज्यादा थी
घटना के वक्त लोग पुलिस को सूचना देते रहे, लेकिन सूचना के बाद केवल तीन पुलिसकर्मी ही पहुंचे। जबकि 500 से ज्यादा भीड़ थी, जो गांव के ग्रामीणों के साथ पुलिस की भी नहीं सुन रही थी। भीड़ ने पुलिस के साथ भी धक्का-मुक्की की।

कार को धक्का देकर दूर ले गए, आग लगा दी
ग्रामीणों ने बताया कि भीड़ में शामिल लोग चौराहे पर वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा रहे थे। गांव के लोगों ने विरोध किया तो उन्मादी भीड़ कार को गांव से बाहर ले गई और उसे आग के हवाले कर दिया।

बचने की उम्मीद में 50 कदम भागा गणेश, गिरा तो घेरकर भीड़ ने मार डाला
गणेश एक घर में छुपा था। भीड़ ने दरवाजा तोड़ा तो वह जान बचाने के लिए भागा। घर से 50 कदम ही भागा होगा कि घर के आसपास मौजूद भीड़ ने उसे घेर लिया और उसे पीटना शुरू कर दिया।

घटना के पीछे की कहानी ग्रामीणों ने बताई... एक गांव का किशोर भी था कार में
गांव के ग्रामीणों घटना के पीछे एक कहानी यह भी बता रहे हैं कि जो लोग सांवेर से आए थे, वे इस क्षेत्र के एक किशोर को लेकर आए थे। जो सांवेर में मजदूरी करने गया था। क्षेत्र में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं न हो, इसके चलते उसे कार में साथ लाए थे, लेकिन उसे कार में बैठा देखकर गांव वालों ने कार सवारों को बच्चा चोर समझ लिया और अफवाह को सही माना।

जैसे-तैसे भीड़ के बीच से निकालकर लाए
एसआई शंकरलाल पाटीदार ने बताया कि सूचना मिलने पर मेरे सहित चार पुलिसकर्मी डायल 100 से पहुंचे तथा भीड़ को समझाने व नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ की संख्या बहुत ज्यादा थी और हम केवल चार ही थे। फिर भी जैसे-तैसे तीन कार सवारों को किसी तरह भीड़ से निकालकर अस्पताल लाए। अन्यथा कार सवारों के साथ कुछ भी हो सकता था।

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