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मां क्षिप्रा को करेंगे पुनर्जीवित, सिंहस्थ तक होगा बड़ी योजना पर काम



नर्मदा मिशन के संस्थापक भैयाजी सरकार ने लुप्त होती मां क्षिप्रा के लिए किया चिंतन बैठक का आयोजन-वर्षा का जल संग्रहित करने पर भी हुई चर्चा
उज्जैन। 14 वर्षों से जनभागीदारी के साथ सामूहिक प्रयासों से नर्मदा नदी का संरक्षण करने वाले नर्मदा मिशन के संस्थापक भैयाजी सरकार जबलपुर बुधवार को उज्जैन आये। उज्जैन में भैयाजी सरकार ने शहर के समाजसेवियों तथा भक्त मंडल के साथ मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने तथा वर्षा का जल कैसे संग्रहित करें इस पर चिंतन किया। साथ ही निर्णय लिया कि अगले सिंहस्थ के पूर्व क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने के लिए जनसहयोग तथा सरकार के सहयोग से एक बड़ी योजना पर काम किया जाएगा। 
समाजसेवी अजीत मंगलम, हरिसिंह यादव एवं रवि राय के अनुसार भैयाजी सरकार ने बुधवार को बाबा महाकाल का पूजन अभिषेक कर देश में अच्छी वर्षा की कामना की। तत्पश्चात वे महाकाल मंदिर के पीछे स्थित स्वामी विश्वात्मानंद महाराज के अन्नक्षेत्र पहुंचे जहां शिव वाटिका में रूद्राक्ष के पौधों का रोपण कर मां क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने हेतु चिंतन बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में भैयाजी सरकार ने कहा कि हम गांव नगर के जीवन को कैसे सुरक्षित रखें, यह हमारी पहली प्राथमिकता है। पिछले 14 वर्षों में जनभागीदारी से सामूहिक प्रयासों से नर्मदा संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं अब मां क्षिप्रा के लिए भी जनभागीदारी से कार्य करते हुए पुनर्जीवित करना होगा। वृक्षारोपण नर्मदा-क्षिप्रा नदियों की जीवन दायिनी है उनका जीवन क्षेत्र है, इसी से उनका जीवन चलता है, वृहद पैमाने पर वृहद वृक्षारोपण की आवश्यकता पड़ेगी। नर्मदा और क्षिप्रा की सहायक नदियों पर भी समाज को काम करने की आवश्यकता है, उज्जैन परिक्षेत्र का जीवन है क्षिप्रा, धर्म कला संस्कृति का केन्द्र उज्जैन है। हम क्षिप्रा को भारतवर्ष में एक आदर्श के रूप में स्थापित करेंगे। जीवनदायिनी को संरक्षित करने का सामूहिक प्रयास आने वाले समय में करेंगे, क्षिप्रा को पुनर्जिवित करेंगे, क्षिप्रा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। जैसे नर्मदा पर 14 वर्षों से काम कर रहे हैं ऐसे ही गांव नगर में संपर्क कर क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने का काम करेंगे। भैयाजी सरकार ने कहा वृक्षारोपण तो हो रहे लेकिन उसे हमें धर्म से जोड़ना है धरा को देवालय माने और धरा रूपी देवालय की जीवंतचेतन्य मूर्ति वृक्ष है, हमारी सनातन परंपरा में वृक्षों को देव का स्वरूप मानते हैं, वर्षा ऋतु में जैसे नर्मदा के तट पर वृहद अभियान चलता है, ऐसे ही वर्षा ऋतु काल में बाबा महाकाल की सगुण उपासना प्रत्येक घर परिवार करे देववृक्ष मूर्तियों की स्थापना करें। चिंतन बैठक में रवि राय, हरिसिंह यादव, अजीत मंगलम, सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद खंडेलवाल, सुरेंद्र यादव, भगवान शर्मा, अभिषेक शर्मा, जयशंकर पुरोहित, पं. नितिन शर्मा आदि मौजूद थे।

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