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चातुर्मास के 24 साल बाद उज्जैन पधारे आचार्य मृदुरत्नसागरजी, समाजजनों ने की अगवानी



कांच के जैन मंदिर से निकला प्रवेश सामैया-सिर पर कलश लेकर चली महिलाएं
उज्जैन। वागड़ विभूषण आचार्य मृदुरत्नसागरजी महाराज का रविवार को मंगल प्रवेश हुआ। कांच के जैन मंदिर से निकले प्रवेश सामैया में आचार्यश्री के साथ मुनि व साध्वी मंडल, जिन शासन ध्वजा, बैंड बाजे व सिर पर कलश लेकर महिला मंडल शामिल रहे। विभिन्न मार्गों से होते हुए प्रवेश जुलूस श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआ मंदिर पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। आचार्यश्री ने 24 वर्ष पूर्व खाराकुआ मंदिर पर चातुर्मास किया था इसके बाद अब उनका यहां आगमन हुआ है जिसको लेकर समाजजनों में काफी उत्साह रहा। तब वे मुनि के रूप में यहां आए थे। 
धर्मसभा में आचार्यश्री मृदुरत्नसागरजी ने बच्चों व युवाओं में धर्म के संस्कार विद्यमान करने के लिए अभिभावकों से आव्हान किया। उन्होंने कोयम्बटूर के श्रीसंघ का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां जब तक युवा पंच प्रतिक्रमण सूत्र याद न कर लें तब तक उनका विवाह नहीं किया जाता। तो क्यों न उज्जैन में भी इस तरह के नियम को पालन कराया जाए। प्रेरणादायी महापुरूषों का जीवन दर्शन बताते हुए उन्होंने समाजजनों से धर्म के मार्ग पर प्रशस्त होने की प्रेरणा दी। इससे पूर्व राजेन्द्र तरवेचा, संजय तरवेचा, नवरत्न महिला मंडल, मनोहर इंदु महिला मंडल ने मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किये। इस मौके पर साधार्मिक वात्सल्य के लाभार्थी पवन मारू का पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से बहुमान किया गया। कार्यक्रम में आचार्यश्री मृदुरत्नसागरजी के राजगढ़ में होने वाले आगामी चातुर्मास की पत्रिका का विमोचन भी किया गया। आचार्यश्री के साथ मुनि मोक्षरत्नसागरजी, मुनि नमीरत्नसागरजी, मुनि अर्हमरत्नसागरजी का भी आगमन हुआ। इस दौरान पेढ़ी ट्रस्ट सचिव जयंतीलाल जैन तेलवाला, संजय जैन ज्वेलर्स, प्रकाश नाहर, तेजकुमार सिरोलिया, रमणलाल जैन, बाबूलाल जैन बिजलीवाला, शांतिलाल जैन, लोकेश जैन, मनोहरलाल जैन वकील, माणकलाल जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे। स्वागत भाषण प्रमोद जैन ने दिया। संचालन राहुल कटारिया ने किया। 

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