डॉ. भीमराव अंबेडकर भवन में मना कबीर प्रकटोत्सव
संत कबीर की वाणी आज भी भेदभाव भरे समाज में एकता का रास्ता दिखाती है- टटवाल
उज्जैन। संत कबीर ने अपने जीवनकाल में आडंबरों का विरोध किया और मानव जाति में एकता के लिए कार्य किया। उन्होंने अपनी वाणी और दोहो के माध्यम से समाज को एक दिशा दी, आज भी उनकी वाणी समाज का मार्गदर्शन कर रही है।
उक्त बात भाजपा अजा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री मुकेश टटवाल ने कबीर प्रकटोत्सव के दौरान कही। डॉ. भीमराव अंबेडकर भवन मायापुरी में सोमवार को कबीर प्रकटोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए मुकेश टटवाल ने कहा कि कबीर परमात्मा को मित्र, माता-पिता के रूप में देखते थे। उनको शांतिमय जीवन प्रिय था और वे अहिंसा, सत्य, सदाचार, गुणों के प्रशंसक थे। उनकी वाणी आज भी हमारे जीवन में है। सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप। चाह मिटी चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह, जिसको कुछ नहीं चाहिये वह शहंशाह। बुरा जो देखन मै चला बुरा न मिलया कोय, जो मन खोजा अपना मुझसे बुरा न कोई। कबीरदासजी ने कभी भी कलम और कागज को हाथ नहीं लगाया। उन्होंने स्वयं ग्रंथ नहीं लिखे मुंह से बोले और शिष्यों ने उसे लिखा। इस अवसर पर मुख्य रूप से भगवानदास गिरी, राम अवतार, आरती सिंह सहित बड़ी संख्या में नागरिकगण मौजूद रहे।