भस्मारती में महिलाओं का ड्रेसकोड साध्वियों पर भी लागू हो
उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर एवं देश के प्रमुख मंदिरों की परंपराओं एवं पवित्रता एवं दर्शन करने के नियम होते हैं, जिनका पालन वीआईपी एवं आम दर्शनार्थी एवं साधु साध्वियों पर भी लागू होते हैं। पिछले ही दिनों केरल के मंदिर की परंपरा को देश के प्रधानमंत्री ने भी स्वीकार करते हुए दर्शन किये। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है देश का साधु एवं साध्वियों संत दीक्षा लेने के पश्चात अपने को भगवान एवं मंदिर की परंपराओं से उपर मानते हुए मंदिर की परंपराओं को नहीं मानते जो दुर्भाग्य पूर्ण है। जो साधु संत धर्म की रक्षा के लिए होते हैं, यदि वही परंपराओं एवं पवित्रता को भंग करते हैं तो आम आदमी क्या करेगा।
कई दिनों से महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा एवं आरतियों में जो ड्रेस कोड लागू है उसे साधु एवं साध्वियां नहीं मानते हैं, वे भगवा कुर्ता एवं गाउन पहनकर भस्मारती में प्रवेश करते हैं। जिससे मंदिर के नियमों का उल्लंघन होता है और आम दर्शनार्थियों में विपरीत संदेश जाता है। इस आशय का एक पत्र अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. महेश पुजारी ने देश के शंकराचार्य, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष को लिखा है तथा पुजारी महासंघ से यह भी मांग की है कि भस्मारती के नियमों का पालन सभी को करना अनिवार्य है। साधु एवं साध्वी नियमों को तोड़कर गर्भगृह में प्रवेश करते हैं, उन पर मंदिर समिति कार्यवाही क्यों नहीं करती है जबकि ऐसे साधु एवं साध्वी को कर्मचारी सुरक्षा गार्ड नियमों का पालन करने के लिए कहते हैं उसे भी अनदेखी करते हुए राजनीति एवं साधु होने का दबाव बनाते हैं तथा गर्भगृह में प्रवेश करते हैं जो उचित नहीं है। मंदिर समिति से आग्रह है भस्मारती में महिलाओं की जो ड्रेसकोड भगवा साड़ी ब्लाउज है वह साध्वियों पर भी लागू हो। कुर्ता जॉकेट गाउन पर प्रतिबंध लगावे।