विश्व ‘दुष्कर्म’ गुरू नया भारत -आचार्य सत्यम्
उज्जैन। पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने हमारी केंद्र सरकार और सुल्ताने हिन्द को भारत में बढ़ती दुष्कर्म की खौफनाक प्रवृत्ति के विरूध्द निंदा प्रस्ताव भेजा था। अपने 5 वर्षीय ऐतिहासिक और वीर हिंदू सम्राट के रूप में प्रचारित कार्यकाल के दौरान सुल्ताने हिंद बाकी कई मामलों पर गरजते रहे, लेकिन राम और कृष्ण के देश को विश्व में कलंकित करने वाली दुष्कर्म की राक्षसी प्रवृत्ति और विश्व इतिहास में मासूम कन्याओं पर भी अकल्पनीय और बर्बर दुष्कर्मों और जघन्य हत्याओं की बाढ़ से भी वीर हिंदू नरेश का कलेजा नहीं पसीजा, पुलवामा और पठानकोट के घावों का बदला लेने के लिए बालाकोट में शौर्य प्रदर्शन कर केन्द्रीय सत्ता की दूसरी बाजी झपट लेने वाले वीर जब से अपनी ताजा जीत के नगाड़े बजा रहे हैं तब से ही नए विश्व गुरू भारत में दूधमुंही मासूम गरीब कन्याओं पर दुनिया के इतिहास के जघन्यतम वहशी दुष्कर्मा के बाद उनकी हत्याओं की बाढ़ आई हुई है। लेकिन सरदार पटेल के वारिस भारत भ्रमण और विजयी जलसों के बाद अब विश्व भ्रमण पर हैं और नायब सरदार जिनके कंधों पर देश की आंतरिक सुरक्षा का अतिरिक्त भार भजन मण्डली दल के अध्यक्ष होने के साथ है। और अब हस्तिनापुर की राजसभा पर ध्वज लहराने के बाद वे तीन सूबों में राष्ट्रदोही (?) सत्ताओं को उखाड़ने की तैयारी में मशगूल हैं। उन्हें दुष्कर्मों जैसी घटिया समस्या पर गौर करने का समय कहाँ ? इधर दुष्कर्म शिरोमणि प्रदेश के टायगर मामा अपने सम्पूर्ण कार्यकाल में मध्यप्रदेश को भारत में दुष्कर्मों के मामले में स्वर्ण पदक दिलाते रहे। कसम राम की उन्हें उनके शासनकाल में इतना दुःखी नहीं देखा जितना वे आजकल प्रदेश के मुखिया की कुर्सी से बेदखल होने के बाद हैं। अपनी दुष्कर्म पीड़िता प्यारी भांजियों को स्वर्ग में स्थान देने की प्रार्थना के साथ ही वे पंगु नाथ सरकार को कौस रहे हैं और उनके नेता प्रतिपक्ष सत्ता को जिम्मेदार मानकर उखाड़ फेंकने के लिए उतावले हो रहे हैं। ताऊ नाथ अब वही ट्विटर टेप बजा रहे हैं, जो कुर्सी पर बैठे जगत मामा बजाया करते थे। कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्थिति यह है कि हस्तिनापुर के निर्भया काण्ड के आरोपी सात वर्ष बाद आज भी बहुप्रचारित फांसी की सजा से बच रहे हैं। पीड़िता की माता आशा को अब सत्ता और व्यवस्था से कोई आशा नहीं रही है। बहुप्रचारित कठोरतम् दण्ड फांसी के प्रावधान कर सत्ताधारी मासूमों पर दुष्कर्म और हत्याओं की रोज बढ़ती प्रवृत्ति पर मौन क्यों साधे बैठे हैं?
क्या ये ही सत्ताधारी और नौकरशाह राम-रहीम, आसाराम, चिन्मयानन्द और कुलदीप जैसे सिद्धदोष दुष्कर्मियों के आज्ञाकारी शिष्य और संरक्षक नहीं रहे हैं। दुष्कर्म और हत्याओं के अमानवीय अपराधों में दण्ड की व्यवस्था तत्काल करने के लिए समयबद्ध विधायन से उन्हें कौन रोक रहा है? यदि फांसी के भय से दुष्कर्म और मासूमों की हत्याओं के अपराध रूकते तो आज यह भयावह और शर्मनाक स्थिति देवभूमि भारत के समक्ष उपस्थित नहीं होती। पिछले दस वर्षों से हम लगातार स्वाधीनता संग्राम के दौरान अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की माताजी जगरानी देवी की प्रेरणा से मामा बालेश्वरदयाल द्वारा पांच दुष्कर्मियों की नाक काटकर उनके सामाजिक बहिष्कार के कारगर कारनामे को भारतीय दण्ड विधान सहित अन्य आपराधिक कानूनों में आवश्यक प्रावधान कर इस सिद्ध प्रयोग और चन्द्रशेखर आजाद के अधूरे संकल्प को पूरा करने का आव्हान राष्ट्रीय स्तर पर जन-जागरण और सत्याग्रहों के माध्यम से करते रहे हैं, जिसकी उपेक्षा वर्तमान सत्ताधारियों और राजनैतिक दलों ने की है। उसी का आवश्यक दुष्परिणाम वर्तमान स्थिति है, जो राष्ट्र को विश्व में कलंकित कर रही है। मालव रक्षा अनुष्ठान और उसके सहयोगियों के सहयोग से हम आगामी संसद सत्र के दौरान गाय-गंगा-गौरी और वसुंधरा के पर्यावरण के संरक्षण के साथ ही दुष्कर्म की बढ़ती शैतानी प्रवृत्ति पर कारगर रोक के लिए आवश्यक वैधानिक प्रावधान की मांग करते हुए हस्तिनापुर में आमरण अनशन राष्ट्रीय जन-जागरण हेतु करेंगे। हमारे आव्हान पर मण्डल अभिभाषक संघ और अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद् के प्रतिनिधि उज्जयिनी में राष्ट्रीय विचार मंथन दुष्कर्म और अबलाओं की हत्याओं को रोकने के लिए इस माह के अंत तक राष्ट्रीय परिसंवाद के माध्यम से आयोजित करने जा रहे हैं। हमारी भारत के जागृत नागरिकों विशेषकर बहनों से मार्मिक अपील है कि दुष्कर्म मुक्त भारत के हमारे इस अनुष्ठान के सहभागी बनें।