कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन में उज्जैन संभाग में हुआ बेहतर कार्य
नकली खाद, बीज, दवाएं बेचने वालों के विरूद्ध करें एफआईआर दर्ज, कृषि उत्पादन आयुक्त ने समीक्षा बैठक में कहा
उज्जैन | उज्जैन संभाग में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी आदि के क्षेत्र में बेहतर कार्य हुआ है तथा संभागायुक्त के निर्देशन में संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स आगे भी इन क्षेत्रों में अच्छी प्रगति दिखाकर संभाग को अव्वल बनाएं। उज्जैन संभाग में प्रगतिशील किसान हैं तथा यहां इन सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य की अपार संभावना है। विभागीय अमला पूरी मेहनत के साथ कार्य करे तथा कल्याणकारी योजनाओं का पूरा किसानों को दे। संभाग के सभी जिलों में नकली खाद, बीज, दवाएं बेचने वालों के विरूद्ध सख्ती से कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई जाए।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री प्रभांशु कमल ने आज शुक्रवार को उज्जैन संभाग की रबी 2018-19 की समीक्षा एवं खरीफ 2019 की तैयारियों सम्बन्धी बैठक के द्वितीय सत्र में उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी आदि की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिये। बैठक में अपर मुख्य सचिव पशुपालन श्री मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव मत्स्य पालन श्री अश्वनी राय, संभागायुक्त श्री अजीत कुमार, उद्यानिकी आयुक्त श्री कवीन्द्र कियावत, दुग्ध संघ के प्रबंध संचालक श्री प्रमोद गुप्ता सहित संभाग के सभी कलेक्टर्स, सीईओ जिला पंचायत तथा सम्बन्धित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। उज्जैन कलेक्टर श्री शशांक मिश्र के अवकाश पर होने से उनके स्थान पर अपर कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने उज्जैन जिले के बारे में जानकारी दी।
उज्जैन दुग्ध उत्पादन में प्रदेश में दूसरे नम्बर पर
अपर मुख्य सचिव पशुपालन श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन 9.43 प्रतिशत है, जो कि पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। राज्य में 403 लाख लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन होता है तथा प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 505 ग्राम है। मध्य प्रदेश गोवंश में पूरे देश में प्रथम तथा अंडा उत्पादन में देश में 12वें स्थान पर है। उज्जैन पूरे प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में दूसरे नम्बर पर है। उन्होंने उज्जैन संभाग में शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध कृत्रिम गर्भाधान में 104 प्रतिशत, वत्स उत्पादन में 106 प्रतिशत, बधियाकरण में 105 प्रतिशत तथा पशु उपचार में 156 प्रतिशत उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की।
पशुपालन से सबसे जल्दी गरीबी दूर होती है
श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि पशुपालन से सबसे जल्दी गरीबी दूर होती है। सभी कलेक्टर्स अपने-अपने जिलों में किसानों को पशुपालन के लिए प्रेरित करें तथा उन्हें शासकीय योजनाओं की जानकारी देते हुए उनका पूरा-पूरा लाभ दिलाएं। विभागीय अधिकारी हितग्राहीमूलक योजनाओं पर ध्यान दें। शासन के निर्देश अनुसार गौशालाएं बनाए जाने के सम्बन्ध में भी कार्रवाई की जाए। जिन मन्दिरों के पास अतिरिक्त भूमि एवं आय के साधन हों, वहां भी गौशालाएं बनवाई जाएं।
दर्दरहित बधियाकरण हो
श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि पशुओं को बधियाकरण में पहले अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में पशुओं को काफी दर्द होता था तथा परेशानी होती थी। अब नई तकनीक से दर्दरहित बधियाकरण होता है, जिसमें पशु को परेशानी नहीं होती। सभी कलेक्टर्स एवं विभागीय अधिकारी इस पद्धति का प्रयोग कराएं। अधिकारी पशु औषधालयों का निरन्तर निरीक्षण करें तथा प्रयास किए जाएं कि पशु औषधालयों में पशुओं को आवश्यकता अनुसार भर्ती कराया जाए। उन्होंने उज्जैन शहर में हटाए गए सांची पार्लर्स को पुन: स्थापित कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने गोबर से गोकाष्ठ बनाए जाने के की भी आवश्यकता बताई।
1962 पशु संजीवनी वाहन का उपयोग करें
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि अभी पशुपालकों को इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि शासन द्वारा टोलफ्री नम्बर 1962 पशु संजीवनी वाहन का है। इस नम्बर पर कॉल कर पशुओं के इलाज के लिए पशुपालक सुविधा ले सकते हैं। इन वाहनों में पशु चिकित्सा के सारे उपकरण, दवाएं, चिकित्सक आदि मौजूद होते हैं। उन्होंने इस योजना का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कराए जाने के निर्देश सभी जिला कलेक्टर्स को दिए।
पशु स्वास्थ्य कार्ड बनवाएं
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि शासन द्वारा पशुपालकों के पशुओं का पशु स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाता है, जिसमें पशु की यूआईडी, नस्ल, आयु, पशुपालक का नाम आदि समस्त जानकारी रहती है। पशु स्वास्थ्य कार्ड प्रत्येक पशुपालक का बनना चाहिए।
सर्वाधिक एनीमल प्रोटीन मछली में होता है
प्रमुख सचिव मत्स्य पालन श्री अश्वनी राय ने बताया कि सर्वाधिक एनीमल प्रोटीन मछली में होता है। सभी जिलों में मत्स्य पालन को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मछली पालन के लिए तालाब का बारहमासी होना आवश्यक नहीं है, यदि तालाब में वर्ष में 3-4 माह भी पानी रहता है तो उसमें मछली पालन की गतिविधियां की जा सकती हैं।
उन्नत किसानों को सम्मानित करें
संभागायुक्त श्री अजीत कुमार ने कहा कि सभी कलेक्टर्स अपने-अपने जिलों में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी आदि गतिविधियों में श्रेष्ठ कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित करें। उन्होंने कलेक्टर्स से कहा कि वे समय-समय पर उद्यानिकी आदि की योजनाओं में कराए जाने वाले कार्यों का फिल्ड वेरिफिकेशन भी करवाएं। उन्होंने मसाला, फल, पुष्प आदि फसलों के विस्तारीकरण की आवश्यकता बताई। श्री अजीत कुमार ने कृषि आदि क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों का योगदान लिए जाने की बात भी कही। संभाग में अधिक से अधिक डेयरी समितियों का गठन किया जाए।
कालू कहार एवं संदीप परदेसी लाखों कमाते हैं मत्स्य पालन से
बैठक में 2 उन्नत मछली पालक श्री कालू कहार एवं संदीप परदेशी को भी बुलाया गया था, जिन्होंने मत्स्य पालन के सम्बन्ध में अपने अनुभव बताए। कालू कहार 1 वर्ष में अपने 2 हेक्टेयर तालाब से 3 लाख मुनाफा कमाते हैं, वहीं संदीप परदेशी उन्नत तकनीक का प्रयोग कर 1 हेक्टेयर में प्रतिवर्ष 40 लाख तक मुनाफा कमा लेते हैं।
उद्यानिकी में संभाग में अच्छे कार्य
बैठक में श्री कवीन्द्र कियावत ने बताया कि उद्यानिकी के क्षेत्र में उज्जैन संभाग में अच्छे कार्य हुए हैं। यहां के कुल कृषि योग्य क्षेत्र के 25 से 30 प्रतिशत क्षेत्र में उद्यानिकी की फसलें ली जा रही हैं। उन्होंने फल क्षेत्र विकास कार्यक्रम, सब्जी क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम, मसाला क्षेत्र विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय औषधिय पौधा मिशन, पॉली हाऊस, प्लास्टिक मल्चिंग, यंत्रीकरण आदि क्षेत्रों में निरन्तर कार्य करने के निर्देश दिए। उज्जैन संभाग में प्याज की अधिक पैदावार होने से, प्याज भण्डारण के लिए भण्डार गृहों के प्रस्ताव भोपाल भिजवाए जाने के निर्देश दिए।
मन्दिरों में बिके सांची के पेड़े
प्रबंध संचालक दुग्ध संघ श्री प्रमोद गुप्ता ने सभी जिलों में अधिक से अधिक सांची पार्लर खुलवाने का सभी कलेक्टर्स से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि महाकाल मन्दिर तथा अन्य मन्दिरों में प्रसाद के रूप में सांची के पेड़े बिकें, जो कि अच्छी गुणवत्ता एवं कम दाम के होते हैं। उन्होंने सभी जिलों में डेयरी कॉपरेटिव सोसायटिज का अधिक से अधिक गठन करवाएं जाने एवं दुग्ध संग्रहण बढ़वाए जाने का भी कलेक्टर्स से आग्रह किया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन की तुलना में दुग्ध संग्रहण मात्र 5.4 प्रतिशत है, जबकि गुजरात में यह प्रतिशत 91 है।