जीवन में अगर ज्ञान है और प्रेम नहीं तो वह ज्ञान केवल कोरा ज्ञान है -पंडित व्यास
श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन हुआ भगवान श्रीकृष्ण रूक्मणी का विवाह
उज्जैन। आत्मा के ऊपर डला हुआ वासना रूपी वस्त्र हटाना ही वस्त्र हरण लीला का सार है। पुस्तक पढ़कर ज्ञान तो मिल जाता है लेकिन ज्ञान के साथ जीवन में प्रेम प्रभु की कृपा से ही आता है जीवन में अगर ज्ञान है और प्रेम ना है तो वह ज्ञान केवल कोरा ज्ञान है।
उक्त बात संजय नगर नानाखेड़ा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के छठे दिन की कथा में पं. सुनील कृष्ण व्यास बेरछा मंडी गोपी वस्त्र हरण की कथा का सार समझाते हुए कही। कथा में भगवान द्वारकाधीश का प्रथम विवाह माता रुक्मणी के साथ हुआ। पं. व्यास ने भगवान बालकृष्ण की लीला कथाओं का वर्णन करते हुए सुंदर कथा का वर्णन किया। आपने कहा हर भक्त के जीवन की सारी मनोकामना पूरी हो कृष्ण के भक्त का जीवन वश में हो जाए, यही रासलीला की कथा का सार है। व्यक्ति के जीवन में प्रेम परमात्मा की भक्ति से ही आता है और प्रेम के लक्षण है आंखों से आंसू बहना, प्रेम की गति है आंखों से अश्रु धारा बहने लग जाए। गोपियों ने ज्ञान से परिपूर्ण उद्धव को भगवान कृष्ण के प्रति अपना प्रेम भाव बता कर अपने प्रेम रूपी रस से सराबोर कर दिया और ज्ञानी उद्धव का ज्ञान चला गया और प्रेम से भर गया।