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17 हजार की बीमा राशि देने के बदले मांगे थे 5 हजार



सीबीआई ने किया ट्रैप 10 साल बाद हुआ फैसला, दो  कर्मचारी बरी
उज्जैन। सीबीआई भोपाल ने योगेश मिश्रा पिता रामदुलारे मिश्रा निवासी नागदा की शिकायत पर 28 जुलाई 2009 में कर्मचारी राज्य बीमा अस्पताल के लेब असिस्टेंट देवेंद्र वर्मा एवं स्थापना बाबू विजय कोटंगले के खिलाफ 17 हज़ार की राशि का भुगतान करने के बदले 5 हजार मांगे जाने पर ट्रेप की कार्रवाई करना बताई थी जिसमें 10 साल बाद उज्जैन न्यायालय द्वारा फैसला आया और सीबीआई की कार्रवाई को सही नहीं मानते हुए दोनों कर्मचारियों को दोषमुक्त कर दिया।
इस मामले में एडवोकेट प्रेम जोशी ने बताया कि फरियादी योगेश मिश्रा लेबर बिरला कम्पनी का दुर्घटना में पैर फ्रेक्चर हो गया था। इलाज के दौरान 17 हजार 800 रुपये के मेडिकल बिल विभाग में लगाये जिसके भुगतान के एवज में देवेंद्र वर्मा और विजय कोटंगले पर आरोप लगाते हुए सीबीआई में शिकायत की गई कि 5 हजार की मांग की जा रही है। इस सीबीआई भोपाल ने ट्रेप आयोजित किया। इस मामले में 9 साक्ष्यों के कथन हुए जिसमें यह सामने आया कि दोनों कर्मचारियों के पास बिल भुगतान की कोई फाइल पेंडिंग नही थी, यह कार्य अस्पताल के केशियर प्रकाश चावंड द्वारा ही किया जाना था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट के विशेष न्यायाधीश चंद्रकिशोर बारपेटे ने फैसला सुनाते हुए कहा की राज्य सरकार की बगैर अनुज्ञा सीबीआई ने कार्रवाई  की वह विधि संववत नही थी। ऐसे में विद्वान न्यायाधीश ने सभी पक्षो को सुनते हुए दोनो कर्मचारियों को प्रकरण से बरी कर दिया। 

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