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भोग भोगने के लिए बनाए हैं, फंसने के लिए नही



उज्जैन। बच्चा जब अपने पिता की उंगली पकड़कर मेला देखने जाता है तो तरह-तरह के साजो सामान को देख कर पिता की उंगली छोड़ देता है और फिर भटक जाता है लेकिन अगर पिता बच्चे का हाथ पकड़ ले तो मेला भी घूमा देता है दुकान भी दिखा देता है और वापस अपने घर भी ले आता है। उसी प्रकार आप गुरु का हाथ पकड़ते हो तो दुख तकलीफ या धन के अहंकार में साथ छोड़ देते हो लेकिन अगर आप अपना हाथ गुरु को पकड़ा दो तो वो आपका साथ नही छोड़ते। ईश्वर ने भोग भोगने के लिए बनाए हैं, फंसने के लिए नही।
मानव कल्याण का ये सन्देश बाबा जयगुरुदेव आश्रम में चल रहे तीन दिवसीय बाबा जयगुरुदेव जी के सप्तम भंडारे के दूसरे दिन सत्संग देते हुए बाबा उमाकान्त महाराज ने दिया। आपने कहा सच्चे गुरु की तलाश कर उनसे नाम लेकर नाम की कमाई करने से ही मनुष्य की मुक्ति सम्भव है वरना कर्मो के बंधन से कोई बच नहीं सकता। जब अच्छे कर्म आते है तो सुखी होते है और जब बुरे कर्म आते है तो दुख तकलीफ आते है। इनसे बचने के लिए ही नाम की कमाई करना होता है। जो नाम आपको दिया जा रहा है इसलिए इस नाम को सम्हाल कर रखना। इसके साथ महाराज जी ने लाखों भक्तो को नामदान भी दिया।
मांस मनुष्य का भोजन नहीं
महाराज जी ने अपने सत्संग में बताया कि मांस मनुष्य का भोजन नहीं है मांस खाने से मनुष्य की बुद्धि खराब हो जाती है, खून बेमेल हो जाता है और तरह-तरह की बीमारियां इंसान को हो जाती है। इसलिए धर्म ग्रंथो में भी जीवों पर दया करने की शिक्षा दी जाती है। महाराज जी ने नामदान देने से पहले अपार जनसमूह को सदा शाकाहारी रहने का संकल्प भी दिलाया।
कैश लैस शादी 
बाबा उमाकान्त जी महाराज के सानिध्य में मनाए जा रहे इस भंडारे में दहेज रहित शादियां भी कराई जा रही है इसी कड़ी में कल नेपाल से आये चार नवयुगल महाराज जी के आशीर्वाद से शादी के बंधन में बंध गए विशेष बात यह है कि यहां दहेज की कोई बात नही होती। निःशुल्क एवं कैश लैस शादियां कराई जाती है। दूल्हा दुल्हन महाराज जी से आशीर्वाद लेते है फिर वही सभी रस्में अदा होती है। ना दान ना दक्षिणा ना कोई और खर्च बस महाराज जी की दया से शादी के बंधन में बंध जाते है।
गर्मी पर भारी भक्ति
नौतपा का सूर्य इस समय धरती पर जैसे आग बरसा रहा है। लेकिन जयगुरुदेव आश्रम पर मौजूद लाखों भक्तो को जैसे गर्मी का अहसास ही नही हो रहा। तेज धूप में भी महाराज जी के दर्शन को लगी कतारे, भंडारों में भट्टी पर रोटी सेकते सेवादार, खुले मैदान में कचरा उठाते भक्त सबके मन में केवल सेवा की लगन है महाराज जी के भक्तो की भक्ति, उत्साह, जोश और सेवा के ज़ज़्बे के आगे सूरज की गर्मी भी कमज़ोर नज़र आ रही है।
पूजा आरम्भ
शाम के सत्संग नामदान के पश्चात महाराज जी ने भक्तों को दर्शन देकर फिर मन्दिर जाकर बाबा जयगुरुदेवजी महाराज का पूजन किया और इसके पश्चात भक्तों ने भी लाइन में लगकर मन्दिर में पूजा करना आरंभ कर दिया है। 

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