चालाकी से नहीं केवल भक्ति से ही नर से नारायण तक पहुंचना संभव
महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने किये श्री महाकाल दर्शन
उज्जैन। नशा सदैव नाश का कारण है, मदिरापान करना अपने जीवन को जीते जी नरक बनाने जैसा है। एक भी पाप यदि आप जीवन में करते हो तो पांच पाप अपने आप साथ आ जाते हैं, मदिरापान भी ऐसा पाप है जिसे करते ही शरीर में पांच पाप एक साथ आते हैं। मदिरा का नशा चढ़ते ही व्यक्ति के मन में मांसाहारी बनने की इच्छा प्रबल होती है, फिर वैश्यागमन, झूठ बोलना और अंत में नशा नहीं मिलने पर व्यक्ति कोई क्रूर पाप कर जाता है।
उक्त बात श्री शंभु अटल पंचायती अखाड़े के पीठाधीश्वर राजगुरू आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने बुधवार को महाकाल प्रवचन हॉल में कही। महाराज के अनुयायी अजीत मंगलम, हरिसिंह यादव एवं रवि राय ने बताया कि महाराज ने उज्जैन पहुंचकर शाम 6 बजे बाबा महाकाल के दर्शन किये। दर्शन पश्चात महाकाल प्रवचन हॉल में श्रीमद् भागवत गीता शक्तिपीठ केन्द्र कुरूक्षेत्र के तत्वावधान में चल रहे महिला सशक्तिकरण, नशामुक्ति व भागवत कथा के आयोजन में पहुंचे। यहां भक्तों ने दर्शनलाभ लिया। इस दौरान प्रवचन देते हुए स्वामी विश्वात्मानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य के कर्म ही उसके सद्गति और दुर्गति का कारण बनते हैं, कर्म अच्छे हैं तो नरक स्वर्ग बन जाएगा और यदि कर्म बुरे हैं तो सद्गति दुर्गति बन जाएगी। नर से नारायण तक व्यक्ति खोटे काम करके, चालाकी से नहीं पहुंच सकता वहां तो केवल भक्ति और ज्ञान की लाठी के सहारे ही पहुंचा जा सकता है। इस अवसर पर अजीत मंगलम, रवि राय, हरिसिंह यादव, पोरवाल बंधु, पं. निर्मल गुरू, संगठन महामंत्री राजश्री सिंह, पं. नितीन शर्मा, शिव भैया, संत सत्कार अध्यक्ष राजेन्द्र गुरू, भगवान शर्मा, सरोज अग्रवाल, वरूण शर्मा आदि उपस्थित थे।