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स्मारती को अनुमति प्रथा से मुक्त किया जाए


 

मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवधेशपुरी महाराज ने महाकाल मंदिर में चल रही भस्मारती के नाम पर सौदेबाजी को खत्म करने की मांग की-कलेक्टर से भी की चर्चा

उज्जैन। विश्व प्रसिध्द महाकाल मंदिर भस्मार्ती के नाम पर भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया है जिसके परिणाम स्वरूप विश्व पटल पर महाकाल की छबि धूमिल हो रही है तथा श्रध्दालुओं की श्रध्दा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भस्मारती के नाम पर 24 घंटे चल रही सौदेबाजी से महाकाल का आभामंडल प्रदूषित हो रहा है। भस्मारती में वीआईपी व्यवस्था भी मंदिर में हो रहे भ्रष्टाचार व अनुशासनहीनता का एक प्रमुख कारण है। इन सब अव्यवस्थाओं पर रोक लगाने हेतु परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर महाकाल की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना के लिए भस्मारती को अन्य चार आरतियों की तरह ही अनुमति प्रथा से मुक्त किये जाने की मांग की है। जिससे जो श्रध्दालु पहले आए वे आगे बैठते चले जाएं तथा नंदी हॉल व गणेश मंडपम के फुल होने के बाद एक चलित पंक्ति के माध्यम से भी दर्शनार्थी दर्शन कर सकें जिससे कि सभी को भगवान की भस्मारती का लाभ प्राप्त हो तथा श्रध्दालु बिना भस्मारती के दुखी मन से वापस न जाएं। 

अवधेशपुरी महाराज बताया कि इस मामले में उन्होंने कलेक्टर शशांक मिश्रा से भी चर्चा कर भस्मारती के नाम पर श्रध्दालुओं की आस्था से किये जा रहे खिलवाड़ पर रोक लगाने की बात कही। इस पर कलेक्टर ने आश्वस्त किया कि वे स्वयं इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि भस्मारती में अनुमति की बाध्यता को समाप्त करने की मांग समय-समय पर उठती रही है किंतु भस्मारती के भ्रष्टाचार में सक्रिय रैकेट इस मांग का विरोध करता रहा है। करीब 1700 से 2000 भस्मारती परमिशन होती है जिनमें 400 ऑनलाईन परमिशन, 700 ऑफलाईन परमिशन तथा 700 से 900 वीआईपी परमिशन रहती है। भस्मारती की सशुल्क व्यवस्था को संभालने में मंदिर प्रबंधन को 2 काउंटरों पर आधा दर्जन कर्मचारी बैठालने पड़ते हैं। प्रातः भस्मार्ती के समय 6 कर्मचारी, पुलिस के जवान एवं निजी सुरक्षा एजेंसियों के गार्ड लगाने पड़ते हैं। इन समस्त कर्मचारियों व सुरक्षा गार्डों का वेतन एवं स्टेशनरी पर लाखों रूपये की फिजूलखर्ची होती है जिसका सीधा प्रभाव मंदिर के कोष पर पड़ता है। भस्मारती की अनुमति के कारण ही श्रध्दा एवं विश्वास का केन्द्र महाकाल व्यवसाय व भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया है। जिसके कारण विश्वस्तर पर महाकाल एवं सिंहस्थ नगरी उज्जैन की बदनामी हो रही है। अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि मैं इससे पूर्व भी स्नान की अव्यवस्थाओं एवं महाकाल में कलेक्टर अध्यक्ष न होकर धार्मिक आस्था रखने वाले, धर्म के बारे में जानने वाले योग्य अनुभवी एवं सामाजिक व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने की मांग मुख्यमंत्री से कर चुके हैं। आपने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा स्नान की व्यवस्था में सुधार से श्रध्दालु प्रसन्न हैं। इसी प्रकार मुख्यमंत्री से मांग की गई है ि कवे महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं प्रशासक की नियुक्ति व्यवस्था एवं महाकाल भगवान की भस्मारती व्यवस्था में भी संशोधन करें। 

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