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सत्य सनातन वैदिक धर्म को पुनः स्थापित करने हेतु पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ आर्य संस्कृति को अपनाना होगा


बसन्त से प्रकृति व सन्त से व्यक्ति मे परिवर्तन

राष्ट्र समृद्धि यज्य व सत्संग के साथ आर्य समाज ने मनाया बसन्त पंचमी पर्व 
उज्जैन। आर्य समाज में रविवार को आर्य सन्यासी स्वामी प्रवासानन्द व भजनोपदेशक आर्य मुनि के वैदिक भजनों व आर्य सभासदों की उपस्थिति में बसन्त पंचमी पर्व मनाया गया।
प्रारम्भ मे आचार्य प्रतीक के ब्रह्मत्व में वेद मन्त्रो से आहुति दी गई। इस अवसर पर आचार्य प्रतीक ने कहा कि बसन्त से प्रकृति व सन्त से व्यक्ति मे परिवर्तन आता है। वैदिक विद्वान बी एल पन्ड्या ने कहा है कि ऋतुराज बसन्त हमे संदेश देता है कि हमें पाखण्ड अविद्या अन्धविश्वास असत्य को छोड़कर सत्य सनातन वैदिक धर्म को पुनः स्थापित करने हेतु पाश्चात्य संस्कृति को छोड़कर आर्य संस्कृति को अपनाना होगा। आर्य प्रवक्ता सुखदेव व्यास व डॉ. मालाकार ने बसन्त को प्रफ़ुल्लता व वीरों का पर्व बताया। प्रधान डॉ. मणीन्द्र व्यास ने अन्त में कहा कि हिन्दू धर्म को बचाने मे वीर हकीकत राय का बलिदान दिवस भी बसन्त पंचमी को मनाते है। विधर्मीयों व वेद संस्कृति को बचाने मे वीर हकीकत ने प्राण न्योछावर किये। संचालन मन्त्री संजय सोनी ने किया। इस अवसर पर बडी संख्या में आर्यजन उपस्थित थे।

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