मंदिर और मठ के वंश परंपरा अनुसार पुजारी गुरू शिष्य परंपरा को मानने पर कमलनाथ सरकार को बधाई
उज्जैन। मंदिर और मठ की परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है तथा इसकी देखरेख वंशानुसार पुजारी एवं शिष्यगण करते आए हैं। मुगलकाल में भी पुजारियों ने प्राणों की आहूति देकर मंदिर, मठों की परंपरा को जीवित रखा। आज भी अनेकों मठ मंदिरों में पुजारियों का भरण पोषण तथा भगवान की पूजा सामग्री भी सरकार द्वारा नहीं मिलने पर भी पुजारी और संत मठ मंदिर की पूजा, सेवा में लगे हुए हैं। वर्तमान सरकार द्वारा जो निर्णय पुजारी एवं संतक े लिए हैं उसकी प्रशंसा करते हुए अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक महेश पुजारी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं आध्यात्मिक विभाग के प्रमुख पीसी शर्मा को साधुवाद एवं बधाई देते हुए फैक्स किया। फैक्स में निवेदन किया कि पुजारियों एवं संतों को सन् 1978 से सरकारीकरण होने से बंधुआ मजदूर जैसी परिस्थिति से मुक्त कराये तथा वंश परंपरा एवं शिष्य परंपरा पूर्ण रूप से स्थापित हो। मंदिरों की जमीन नीलामी बंद हो तथा प्रदेश स्तर की धार्मिक समितियों में पुजारियों को समान सदस्यता मिले आदि अनेक समस्याओं से भी सरकार को अवगत कराते हुए आशा व्यक्त कि कि सरकार पुजारी एवं संतों के साथ न्याय संगत निर्णय करेगी। पत्र में महाकाल से कामना की है कि सरकार के नेतृत्व में सभी सुखी एवं समृध्द है।