आंगनवाड़ी केन्द्र में बच्चे नहीं मिले तो परियोजना अधिकारी जिम्मेदार होंगे -कलेक्टर श्री मिश्र “आई एम नॉट एटऑल सेटिस्फाईड”
उज्जैन | “आई एम नॉट एटऑल सेटिस्फाईड” कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने यह बात आज महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि आंगनवाड़ी केन्द्र बन्द मिला या बच्चे नहीं मिले तो सम्बन्धित परियोजना अधिकारी जिम्मेदार रहेंगे और उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। कलेक्टर ने कहा कि बैतूल जैसे आदिवासी बहुल जिले की आंगनवाड़ियों में 100 प्रतिशत बच्चे भर्ती हो रहे हैं, जबकि यहां पर बच्चों की संख्या कम दिखाई पड़ती है। इंटरनेट नहीं होने, पैसा नहीं मिलने जैसे बहाने नहीं चलेंगे। सभी अधिकारी-कर्मचारी गंभीरता से कार्य करेंगे, अन्यथा नतीजे भुगतने के लिये तैयार रहें। बैठक में जिला परियोजना समन्वयक श्री बीएल पासी, जिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री एसए सिद्धिकी, सहायक संचालक श्री गुरूदत्त पाण्डेय, श्री राजीव गुप्ता एवं विभिन्न परियोजनाओं के परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक मौजूद थे।
खाचरौद बीएमओ को बदलने के निर्देश
कलेक्टर ने बैठक में खाचरौद के ब्लॉक मेडिकल आफिसर को बदलने के निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिये हैं। बैठक में यह जानकारी मिलने पर कि एनआरसी में भर्ती होने वाले बच्चों के पालक एवं प्रेरकों को मानदेय विगत कई माह से नहीं दिया गया है, कलेक्टर ने नाराजगी जताई। बैठक में परियोजना अधिकारी ने बताया कि खाचरौद के एनआरसी में इंटरनेट सुविधा व इनवर्टर नहीं है। शौचालय में समस्या है, किन्तु उसका निराकरण विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी द्वारा नहीं किया जा रहा है।
बैठक में कलेक्टर ने प्रधानमंत्री मातृ वन्दना, सांझा चूल्हा, उदिता कॉर्नर आदि की समीक्षा की। बैठक में जानकारी दी गई कि जिले में 1168 आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत हुए हैं। इनमें से 731 पूर्ण हो चुके हैं, 264 निर्माणाधीन हैं तथा 174 अप्रारम्भ हैं। इसी तरह जिले में 1163 सांझा चूल्हा स्व-सहायता समूह चला रहे हैं। जिले में आंगनवाड़ी/मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के 2127 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 2087 पद भरे हुए हैं तथा 40 रिक्त हैं।
इसी तरह प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के अन्तर्गत 15167 गर्भवती महिलाओं के परीक्षण का लक्ष्य रखा गया था। इसमें से 11133 महिलाओं का परीक्षण निजी चिकित्सकों द्वारा किया गया। बैठक में बताया गया कि जिले में 2079 उदिता कॉर्नर स्थापित किये गये हैं। इन केन्द्रों के माध्यम से सेनेटरी नेपकीन्स का वितरण किया जाता है। जिले में 49890 किशोरी बालिकाएं तथा 18 से 49 वर्ष की 77122 महिलाएं इस योजना का लक्षित समूह है।