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मजदूरों के सम्मान में निकल रहा म.प्र. शहरी मजदूर अधिकार एवं सम्मान कारवां


 

उज्जैन। पिछले दो दशक से शहरों में कार्य करने वाले, शहरो को सुचारू रूप से चलाने वाले मेहनतकश मजदूर “शहर निर्माता” की स्थति बहुत ही दयनीय हो गई है। दिखावी सौन्दर्यीकरण, झूठे विकास और नकली सुधार के नाम पर इन शहर निर्माताओं को उनके कार्य करने एवं निवास करने के स्थल से लगातार उजाड़ा जा रहा है। 

इन्हीं सब मुद्दों को लेकर मजदूरों के हित में इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी, नई दिल्ली द्वारा म.प्र. शहरी मजदूर अधिकार एवं सम्मान कारवां यात्रा 28 जनवरी से 5 फरवरी तक निकाली जा रही है। समन्वयक देवेन्द्र सिंह के अनुसार इस यात्रा के दौरान शहर आधारित एवं राज्य आधारित जन मांगपत्र तैयार कर सकते है, जो पार्टिया अपने मैनिफेस्टो में शामिल करे। ये यात्रा महू में बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर जी के जन्म स्थान से शुरू होकर, इंदौर, उज्जैन, गुना, ग्वालियर, सागर, जबलपुर, नरसिंहपुर और भोपाल में समापन होगा जिसके पश्चात एक सार्वभोमिक जन मांगपत्र प्रमुख राजनैतिक डालो के प्रतिनिधियो को दिया जायेगा। देवेन्द्र सिंह ने बताया कि शहर में जनसँख्या के प्रतिशत के हिसाब से ये 65 से 70 प्रतिशत मजदूर है, लेकिन शहर के संसाधनों पर इनका अधिकार या हक्क नहीं के बराबर है। हम शहर की कुल रहवासी भूमि का सिर्फ 5 प्रतिशत ही उपयोग करते है, जबकि 30 से 35 प्रतिशत तबका कुल रहवासी भूमि का 95 प्रतिशत उपयोग करता है। हमे कभी मास्टर प्लान के नाम पर, कभी स्मार्ट सिटी के नाम पर, कभी प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर और सबसे बदतर स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर भी लगातार हमारे कार्य करने एवं रहने के स्थान से बेदखल किया जा रहा है। हमारे अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय से पारित आदेश और उसके पश्चात् कानून में तब्दील हो चुके कई मजदूरों के हित में बात करने वाले कानून मौजूद है, (स्ट्रीट वेंडर अधिनियम (पथ विक्रेता जीविका संरक्षण और पथ विनियमन) अधिनियम 2014 एवं आवासहिनों को 24 घंटे सेवाएं देने वाले आश्रय स्थलों का कानून) लेकिन वर्तमान परिस्थिति में उन सभी कानूनों का उल्लघन हो रहा है, शहरो में रेहड़ी पटरी पर रोजगार करने वालों को उनके धंधे रोजगार से वंचित कर लगातार उजाड़ा जा रहा है। आश्रय स्थल बन गए है, लेकिन उसमे आज तक किसी भी आवासहीन व्यक्ति या परिवार को रहने का स्थान नहीं दिया गया। इंदौर में यही कारण रहा है, पिछले दिनों एक दूध पीती बच्ची के अपरहण और फिर बलात्कार का, क्युंकी उसका आवासहीन परिवार खुली सडको पर सोता था, अगर वो आश्रय स्थल में होते तो शायद ये नहीं होता स प्रधानमंत्री आवास योजन के नाम पर लोगो को उनके अच्छे आशियानों से बलपूर्वक उजाड़कर, जबरजस्ती उन्हें शहर से दूर दडबे नुमा बिल्डिंगो में ठूसा जा रहा है, जबकि हमारे पास अपने राज्य के मजदूरों के हक्क वाले कई कानून मौजूद है जैसे पट्टा कानून, 15 प्रतिशत भूमि आरक्षण का प्रावधान आदि, सिर्फ इनका पालन करने भर से हमारे मजदूर शहर निर्माता साथियों को बेहतर आवास एवं अधोसरचना उनके वर्तमान स्थान से हटाये बगेर भी मुहया कराइ जा सकती है। इन्ही सब मुद्दों को लेकर राज्य स्तरीय मजदूर बस्ती संघठन “नवनिर्माण मंच” ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में “हिट इलेक्शन कैंपेन” चलाया था। अपनी सभी मांगो को उन्होंने अपनी बस्तियों में होर्डिंग एवं बैनर के माध्यम से दिखाया था, सभी पार्टियों के उम्मीदवारों से वचनपत्र भी भरवाया था। उससे पहले सभी पार्टियों के राज्य स्तरीय प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें “जन मांगपत्र” सौपा था, जिसमे से काफी सारे मुद्दों को वर्तमान सरकार ने अपने वचनपत्र में शामिल किया था। इसी वर्ष लोकसभा चुनावों का सामना करने जा रहे है, एक सही वक्त है, अपनी बातों को सरकार के मुख्य कार्यकर्मो में शामिल करवाने का, ये मौका हमे पांच साल में सिर्फ एक बार ही मिलता है। इसी हित इलेक्शन कैंपेन को आगे बढ़ाते हुए हम ये अधिकार एवं सम्मान यात्रा निकाल रहे है। 

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