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गाय, गंगा, गौरी और वसुंधरा के पर्यावरण संरक्षण का संकल्प


उज्जैन। मालवा रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् का आमरण अनशन मालवा की गंगा शिप्रा के तट पर नृसिंह घाट पर तीसरे दिन भी जारी रहा और न्याय प्राप्ति तक जारी रहेगा। 
अनुष्ठान के सचिव कालूराम प्रजापति ने बताया कि आचार्य सत्यम् ने आरोप लगाया कि भारत और मध्यप्रदेश शासन देश में गोवंश की दुर्गति के लिए उत्तरदायी हैं। पांच वर्षों से लगातार हम दोनों सरकारों को सत्याग्रह के सूचना पत्रों के माध्यम से सूचित कर रहे हैं कि अकेले बाबा महाकालेश्वर और योगेश्वर श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से मालवा में गोवंश का संरक्षण और संवर्धन संभव है। यदि बाबा औंकारेश्वर का भी आशीर्वाद लिया जावे तो निमाड़ और नर्मदा अंचल में भी गोवंश तथा पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है। लेकिन निहित स्वार्थी शासक-प्रशासक गोरक्षा की कागजी घोषणाएँ कर गोवंश की अकाल मृत्युओं का पाप कर्म कर रहे हैं। आचार्य सत्यम् ने प्रश्न किया कि एक हज़ार नई गौशालाएँ प्रारंभ करने का दावा करने वाले पूर्व पर्यावरण मंत्री भारत शासन और प्रदेश के मुखिया क्या उनका हश्र भी कपिला गौशाला तथा सलारिया गो अभयारण्य की तरह करना चाहते हैं? अनशनरत आचार्य ने दावा किया कि महाकालेश्वर और महर्षि सांदीपनि आश्रम उज्जयिनी के शासकीय प्रबंधन की ओर से उज्जयिनी में राष्ट्रीय ख्याति के गो विज्ञान एवं पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना अनिवार्य है, उसके बिना स्थापित गाय मार गौशालाएँ ही देवभूमि भारत में रहेंगी। गो विज्ञान एवं पंचकर्म तथा जैविक खेती के प्रशिक्षण के बिना गोवंश का संरक्षण असंभव है। यदि महाकालेश्वर, औंकारेश्वर और सांदीपनि आश्रम प्रबंधन की ओर से गो एवं पर्यावरण संरक्षण का अनुष्ठान प्रारंभ कर विश्वव्यापी आव्हान गोवंश एवं पर्यावरण तथा नदियों के संरक्षण के लिए किया जाये तो ज्योतिर्लिंगों को सोने-चांदी से लादने वाले शिव और गोपाल भक्त अपनी श्रद्धा निधि से गोवंश नदियों और पर्यावरण का संरक्षण करने में समर्थ हैं। बिना किसी शासकीय व्यय के यह पावन कार्य संभव है। क्या शासक अपने निहित स्वार्थों और राजनीति से ऊपर उठेंगे? 

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