शासकीय महाकालेश्वर मंदिर और सांदीपनि आश्रम प्रबंधन की ओर से गोरक्षार्थ आपात व्यवस्था हेतु आमरण अनशन- आचार्य सत्यम्
गाय-गंगा-गौरी और वसुंधरा के पर्यावरण की रक्षार्थ, वचनभंगी सत्ताधारियों के विरूद्ध
उज्जैन। नंदीवंश के संरक्षक मृत्युंजय महाकालेश्वर और गोपाल की गुरूकुल नगरी में गोवंश की अकाल मृत्युओं, मोक्षदायिनी शिप्रा, पौराणिक महानदी (चर्मण्यवती) चम्बल और भगवती यमुना तथा गंगा को ज़हर का परनाला बनाने, नगरीवासियों को इंदौर तथा देवास का मलमूत्र और ज़हर पिलाकर नर्मदा सहित प्रदेश की सभी नदियों को समाप्त कर पर्यावरण का सर्वनाश करने के विरूद्ध तथा भारतीय न्याय के आदर्श सम्राट विक्रमादित्य की नगरी में दलितों और मासूम कन्याओं के उत्पीड़न को रोकने हेतु महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस 30 जनवरी की संध्या 4 बजे से शिप्रा तट, नृसिंह घाट, उज्जयिनी पर आचार्य सत्यम् का आमरण अनशन प्रारंभ हुआ।
मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् ने बताया कि नकली राम और गांधी भक्त सत्ताधारी स्वतंत्र भारत में गाय-गंगा-गौरी और देवभूमि भारत के पर्यावरण को संकट में डालने के लिए उत्तरदायी हैं। कांग्रेस और भाजपा की सरकारें हमारे और संतों के पूर्व सत्याग्रहों के अवसर पर दिए गए लिखित वचनों का भी पालन नहीं कर पाई हैं। शासकीय गोचर भूमियों को मुक्त कराने हेतु उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हमारी लोकहित याचिका क्रमांक 5121/2014 का उत्तर 5 वर्षों में अभी तक नहीं दिया गया है। सरकारें भू-माफियाओं से गोचर और देवस्थानी भूमियाँ भी मुक्त कराने में विफल रही हैं। गोरक्षा के नाम पर गोहत्या के लिए स्वयं शासक-प्रशासक जिम्मेदार हैं। कपिला सहित उज्जयिनी की सभी गौशालाओं और सड़कों पर मरते गोवंश की रक्षा महाकालेश्वर मंदिर और सांदीपनि आश्रम प्रबंधन सरकार के नियंत्रण में भी नहीं कर पाया है। गोहत्या का कलंक स्थानीय प्रशासन से लेकर भारत शासन के माथे पर लग रहा है। दुष्कर्म शिरोमणि मध्यप्रदेश में आज भी मासूम कन्याओं पर सामूहिक दुष्कर्म और उनकी हत्याओं का जघन्य अपराध जारी है। हमारे पूर्व सूचना पत्रों के आधार पर देश की राजधानी के स्थान पर उज्जयिनी में हमारा आमरण अनशन बुधवार से प्रारंभ हो गया है। अनशनरत अवस्था में मालव रक्षा अनुष्ठान का प्रभार अनुष्ठान के सचिवगण मोहम्मद आदिल शेख तथा कालूराम प्रजापति संभालेंगे।