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प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा अवैध रेत खनन, नाव में डंफर का ईंजन लगाकर गंभीर काे कर रहे खोखला


उज्जैन। शहर की प्यास बुझाने वाली गंभीर नदी में बडे पैमाने पर अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है। रेत माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद है कि नदी में बकायदा पाईप लाइन बिछाकर नाव द्वारा सीधे नदी सें रेत का खनन किया जा रहा है।  लेकिन प्रशासन द्वारा कार्रवाई के नाम पर पखवाडे का ढिंडोरा पीटा जा रहा है। रेत माफियाओं द्वारा जिस इाईटेक तरीके से  खुलेआम रेत खनन किया जा रहा है वह प्रशासन की आंखो में ना आए संभव ही नहीं है। क्षिप्रा बचाव आंदोलन के समाज सेवी के अनुसार अगर यही हाल रहे तो आने वाले दिनों में शहरवासियों का कंठ सूखा रहने की संभावना है।
खनन माफियाओं की हिम्मत तो देखिए...... ये देखिए......ये कोई आम पाईप लाइन नहीं बल्कि उज्जैन बड़नगर रोड के गांव सेमलिया में उज्जैन शहर की प्यास बुझाने वाली गंभीर नदी में हो रहे अवैध रेत खनन की लाइन है। सैकडो मीटर तक लंबी इस पाईप लाइन के जरिए गंभीर नदी को छलनी किया जा रहा है। नाव में डंफर का ईंजन लगाकर ये हाईटेक रेत खनन किया जा रहा है। नाव में लगे ईंजन से नदी की तलहटी में जमा हुई रेती को हाईप्रेशर से खींचा जाता है और किनारे पर लगी जाली से छानकर जमा किया जाता है। किनारे पर लगी जाली के दूसरी तरफ करीब 5 फीट गहरे गड्‌डे में धुली बारिक रेत जमा हो जाती है जिससे जेसीबी से डंफर में लोड किया जाता है।  नदी की तलहटी में रेत को ढूंढने के लिए ब्लास्ट कर गहरे गड्‌डे किए जाते है ताकि बहाव में आई रेत इन गड्‌डो में एकत्रित हो जाये जिसे नाव के जरिए निकाला जा सके।  इस नाव से किस प्रेशर से रेत खींची जाती है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल आधे घंटे में रेत से एक डंफर को भरा जा सकता है। इन नावों से दिनभर में सैकडो  डंफर रेत निकाली जा रही है। वह भी दिलेरी से प्रशासन की नाक के नीचे......और प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है।  गांव  सेमलिया में करीब 12 स्थानों पर पाइप लाइन बिछाकर नाव से  इस प्रकार का हाईटेक रेत खनन किया जा रहा है ओर ये खनन काफी लंबे समय से किया जा रहा है।  आश्चर्य की बात ये है कि इतने बडे पैमाने किए जा रहे रेत खनन की खनिज विभाग सहित प्रशासन को भनक तक नहीं है। हमारा सवाल ये है कि क्या इतने बडे पैमाने में किया जा रहा है रेत खनन बगैर प्रशासनिक मिलीभगत के संभव है.......और अगर ऐसा नहीं है तो फिर प्रशासन कर क्या कर रहा है।
दरअसल रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने के बजाए प्रशासनिक अमला पखवाडा मनाकर खानापूर्ति कर रहा है। प्रशासन द्वारा पूर्व में नाव को पकडने की कार्रवाई  तो की गई है लेकिन किसी भी मामले में उसके हाथ रेत माफियाओं तक नहीं पहुूंच सके है जिससे रेत माफिया बैखोफ  होकर गंभीर को खोखला कर रहे है। यहां से अभी तक करोडो रूपए की रेत निकाली जा चुकी है। ये रेत माफिया इतने नीडर है कि खुलेआम रेत निकालने से भी बाज नहीं आ रहे है। बडनगर रोड स्थित गंभीर नदी की पुलिया से महज 500 मीटर की दूरी पर भी रेत खनन कर रहे है। जो गंभीर की पुलिया से भी साफ नजर आ रहा है। क्षिप्रा बचाव आंदोलन में कोर्ट गए  याचिकाकर्ता बाकीरअली रंगवाला के अनुसार नदी के 100 मीटर दोनों तरफ किसी भी प्रकार के खनन पर हाईकोर्ट की रोक लगी हुई है। बावजूद नदी में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की माने तो कोर्ट अवमानना के चलते पूर्व कलेक्टर ओर खनिज अधिकारी को नोटिस भी दिया गया है।  लेकिन अवैध खनन रूक नहीं पा रहा है। बगैर प्रशासनिक शह के इतनी बडे पैमाने में रेत खनन संभव ही नहीं है। रेत से पानी जमीन के ऊपर स्टोर रहता है। सेमलिया में गंभीर डेम का पानी एकत्रित होता है जो उज्जैन शहर की प्यास बुझाता है। रेत खनन से डेम का स्टोर पानी जमीन में उतरने लगेगा जिससे आने वाले दिनों में शहरवासियों को जलसंकट का सामना करना पड सकता है। साथ में गंभीर और क्षिप्रा की दुर्गति तो ये खनन माफिया केक लोग कर ही रहे है। प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पडेगा

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