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‘नाचो नाचो रे गणेश, नाचो ब्रह्मा विष्णु महेश’ के साथ झूमे दर्शक, महाकाल के नगर में शिव पार्वती की गणगौर पूजा की आकर्षक प्रस्तुति


‘निमाड़ी संस्कृति से रूबरू हुए मालवा के दर्शक’

टंट्या भील और भीमा नायक की गौरव गाथा का निमाड़ी लोकगीत के द्वारा सुन्दर वर्णन

लोकतंत्र के लोकोत्सव ‘भारत पर्व’ आयोजित

    उज्जैन । शनिवार को गणतंत्र दिवस की सन्ध्या पर कालिदास अकादमी के पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में लोकतंत्र के लोकोत्सव भारत पर्व का आयोजन किया गया। यह आयोजन संस्कृति विभाग, स्वराज संस्थान संचालनालय मप्र तथा जिला प्रशासन एवं जनसम्पर्क विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस की सन्ध्या पर प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर एकसाथ पारम्परिक कला मण्डलियों के कलाकारों द्वारा राष्ट्र को समर्पित समग्र सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाती हैं।

    हमारा देश भारत विविधताओं से भरा है, लेकिन विविधताएं होने के बावजूद भी हम सभी भारत माता की सन्तानें हैं। अनेकता में भी एकता से ही पूरे विश्व में हमारे देश की विशिष्ट पहचान बनी है। हमारी भारतीय संस्कृति में विभिन्न लोकनृत्य, लोकगीत, भाषाएं और बोलियों का मिश्रण है, जिनसे समय-समय पर भारत पर्व जैसे आयोजनों से रूबरू होने का हमें मौका मिलता है।

    इस बार के भारत पर्व पर मालवा के लोग निमाड़ी संस्कृति से रूबरू हुए। वैसे तो मालवा और निमाड़ क्षेत्र एक-दूसरे के पड़ौसी हैं, जहां की संस्कृति और खानपान भी काफी हद तक एकजैसे हैं, इसीलिये निमाड़ी संस्कृति से मालवा के लोग भलीभांति परिचित हैं। फिर भी शनिवार को भारत पर्व की सांस्कृतिक सन्ध्या पर मंच पर निमाड़ी संस्कृति का प्रस्तुतीकरण अत्यन्त दिलचस्प तरीके से प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा किया गया।

    खरगोन के विख्यात कलाकार श्री संजय महाजन एवं उनके दल द्वारा निमाड़ी लोकनृत्य तथा महेश्वर के श्री प्रवीण चौबे और उनके साथियों द्वारा निमाड़ी लोकगायन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर श्री शशांक मिश्र थे। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि श्री मिश्र ने संकुल सभागृह के प्रांगण में जनसम्पर्क विभाग द्वारा भारत पर्व के उपलक्ष्य में लगाई गई आकर्षक प्रदर्शनी का फीता काटकर उद्घाटन और अवलोकन किया। इसके बाद मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया गया। कला पथक दलों द्वारा मध्य प्रदेश गान प्रस्तुत किया गया।

    श्री संजय महाजन और उनके दल द्वारा सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की वन्दना ‘नाचो नाचो रे गणेश, नाचो ब्रह्मा विष्णु महेश’ लोकनृत्य के माध्यम से की गई, जिसे देखकर कलाप्रेमी दर्शक भी एक बार के लिये झूम उठे। गणेश वन्दना के बाद श्री महाजन के दल द्वारा निमाड़ी के ग्रामीण अंचलों में कुए पर पानी भरने के लिये आने वाली महिलाओं के मध्य रोचक वार्तालाप को पणिहारी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

    इसके बाद गणगौर नृत्य प्रस्तुत किया गया। श्री संजय महाजन ने बताया कि गणगौर निमाड़ी अंचल का बहुत प्रसिद्ध पर्व है। निमाड़ के ग्रामीणजनों की आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र है गणगौर। प्रतिवर्ष चैत्र माह में लोकमान्यता के अनुसार जब माता पार्वती उनके मायके आती हैं तो यह पर्व मनाया जाता है। इस दौरान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। निमाड़ में शिव-पार्वती को धणिया राजा व रणुबाई के नाम से बुलाया जाता है। रातभर पुरूष, महिलाएं और हर आयु वर्ग के लोग देवी पार्वती की आराधना ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं। जब कलाकारों द्वारा गणगौर नृत्य प्रस्तुत किया गया, तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

    इसके बाद आकर्षक भाव-भंगिमाओं के माध्यम से श्री महाजन द्वारा भगवान महाकाल को अतिप्रिय भगवान श्री राम की स्तुति की गई। श्री रामस्तुति के बाद निमाड़ क्षेत्र की महिमा का वर्णन नृत्य नाटिका के माध्यम से किया गया, जिसमें निमाड़ की प्रसिद्ध ताड़ी, गन्ना और लाल मिर्च का बखान किया गया।

    मंत्रमुग्ध कर देने वाली नृत्य प्रस्तुति के बाद गायन की बारी आई, जिसमें उज्जैन की बालिका वैदेही ठाकरे द्वारा सत्यम् शिवम् सुन्दरम् भजन प्रस्तुत किया गया।

    महेश्वर के विख्यात कलाकार श्री प्रवीण चौबे ने निमाड़ी लोकगीतों के बारे में बताया कि ये लोकगीत निमाड़ के विभिन्न मांगलिक उत्सवों और परम्पराओं में समय-समय पर गाये जाते हैं। निमाड़ की धरती पर जन्मे स्वतंत्रता संग्राम सैनानी टंट्या भील और भीमा नायक की गौरव-गाथा भी लोकगीतों के माध्यम से गाई जाती है। श्री चौबे और उनके साथियों द्वारा सर्वप्रथम मां दुर्गा की छोटी-सी स्तुति से शुरूआत की गई। इसके बाद पुण्य सलीला मां नर्मदा की स्तुति की गई।

    वैवाहिक कार्यक्रमों में बाल मनुहार तथा हल्के-फुल्के हास्य विनोद को निमाड़ी शैली में ‘हौ बैड़ा फासी देखूं म्हारो पीहर घणी दूर’ गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों ने उन्मुक्त भाव से सुना और आनन्द लिया। इसके बाद निमाड़ अंचल के शूरवीर और 1857 की क्रान्ति में विशिष्ट भूमिका निभाने वाले टंट्या भील को समर्पित लोकपद प्रस्तुत किये गये, जिन्हें बेहद रोचक तरीके से एक किस्से जैसा सुनाया गया। एक अन्य शूरवीर भीमा नायक की गौरव-गाथा का वर्णन ‘भीमा आयो रे, रंग रंगीलो छैल छबीलो रे, भीमा आयो रे’ गीत के माध्यम से किया गया, जिसमें उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया गया।

    इस दौरान श्री प्रवीण चौबे ने रोचक खुलासा किया कि आजकल मालवा और निमाड़ के वैवाहिक कार्यक्रमों में जो प्रसिद्ध गीत ‘झामरू बीड़ी, ताड़ी पीके नाचो रे, ए झामरू, ए झामरू’ बजाया जाता है, इसे उनके ही द्वारा विस्तारित किया गया है। दरअसल ये प्रसिद्ध गीत क्रान्तिकारी भीमा नायक के विवाह के दौरान पहली बार गाया गया था। जब कलाकारों ने कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तुति के बतौर ये गीत प्रस्तुत किया तो भारत पर्व की सांस्कृतिक सन्ध्या के लिये एक यादगार पल बन गया। इस गीत पर उज्जैन के दर्शक बैठे-बैठे झूमने लगे, तो कई खड़े होकर अपनी जगह पर खुशी से थिरकने लगे और कुछ दर्शकों ने मंच पर आकर कलाकारों के साथ नृत्य किया। इस दृश्य को देखकर मुख्य अतिथि और अन्य सभी दर्शक प्रसन्नचित्त हो गये।

    कार्यक्रम की समाप्ति पर अतिथियों द्वारा कलाकारों का मंच पर पुष्पमाला से सम्मान किया गया। भारत पर्व समारोह का संचालन श्री शैलेन्द्र भट्ट ने किया और आभार प्रदर्शन प्रभारी अतिरिक्त सीईओ जिला पंचायत श्रीमती कीर्ति मिश्रा ने किया।

 

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